
साहित्य जगत की इस ख्यात पत्रिका का प्रत्येक अंक पठनीय व ज्ञानवर्धक रचनाओं से युक्त होता है। समीक्षित अंक में ख्यात कवि मैथिली शरण गुप्त के सृजन कर्म पर विशिष्ठ सामग्री का प्रकाशन किया गया है। उनकी रचनाओं के साथ साथ अज्ञेय, सुषमा प्रियदर्शनी, प्रभाकर श्रोत्रिय तथा संपादक रमेश दवे के उपयोगी व नवीन विचारों से युक्त आलेखों का प्रकाशन किया गया है। रवीन्द्र स्पप्निल प्रजापति की कहानी ‘प्यार और एक दूसरी लड़की’ नए ढंग से लिखी गई समसामयिक कहानी है जिसमें आज का समाज तथा उसके आसपास का वातावरण अपने नए रूप में उभर कर सामने आया है। निरंजन श्रो.ित्रय द्वारा चयनित महेश चंद्र पुनेठा की कविताएं सच से सामना कराने में पूर्णतः सफल रही है। राजकुमार कुम्भज, दुष्यंत तिवारी एवं सुभाष गौतम कबीर की कविताएं भी सार्थक प्रस्तुति कही जा सकती है। पं. गोकुलोत्सव जी महाराज पर एकाग्र पत्रिका का दूसर ा खण्ड ज्ञानवर्धक व संग्रह योग्य है। इस भाग में गजानन शर्मा, प्यारे लाल श्रीमाल, इब्राहिम अली, नीता माथुर तथा सूर्यकांत नागर की उनसे बातचीत प्रभावित करती है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं तथा समाचार भी नवीनता लिए हुए हैं। अंक हर दृष्टिकोण से उपयोगी व पठनीय है।
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