
अल्प समय में ही प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका समावर्तन के इस अंक में बहुत कुछ नया व पठनीय प्रकाशित किया गया है। अंक आंशिक रूप से ख्यात कथाकार मालती जोशी पर एकाग्र है। उनके समग्र व्यक्तिव पर प्रकाशित आलेखांे में सूर्यकांत नागर, मंगला रामचंद्रन, ज्योति जैन, सुधा अरोड़ा, राजेन्द्र सिंह चैहान एवं सच्चिदानंद जोशी के आलेख विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। निरंजन श्रोत्रिय जी द्वारा चयनित महेश वर्मा की कविताएं नयापन लिए हुए हैं। राधेलाल बिजघावने, सुदिन श्रीवास्तव, जहीर कुरेशी एवं भूमिका द्विवेदी की कविताओं में सार्थकता व समयानूकूल भाव छिपा हुआ हैै। श्याम मुुंशी की कहानी ‘किसकी मौत?’ एक अच्छी कहानी है। ललित सुरजन जी पर एकाग्र भाग में भी गहन गंभीर रचनाओं का प्रकाशन किया गया है। उनके साहित्य से चुने हुए अंश तथा रमाकांत श्रीवास्तव, त्रिभुवन पाण्डेय के आलेखों में सुरजन जी से पाठक का व्यक्तिगत साक्षात्कार हो जाता है। पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ, श्रीराम दवे, परमानंद श्रीवास्तव, विनय उपाध्याय की समीक्षाएं व आलेख पत्रिका के अन्य अंकों की तरह स्तरीय हैं।
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