
मध्यप्रदेश की नहीं देश भर में प्रसिद्ध साहित्यकार स्व. श्री अंबिकाप्रसाद दिव्य जी की स्मृति में प्रकाशित इस पत्रिका के प्रत्येक वार्षिकांक में उल्लेखनीय सामग्री का प्रकाशन किया जाता है। इस अंक में शंकर पुणतांबकर, रामनारायण शर्मा, दया दीक्षित, के लेख दिव्य जी के समग्र व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हैं। प्रतिभा जौहरी, राधेमोहन राय व सतीश दुबे की कहानियां स्तरीय हैं। मयंक श्रीवास्तव, नवल जायसवाल, बृजकिशोर पटेल व चंद्रसेन विराट के गीत प्रभावित करते हैं। तेजराम शर्मा, सुदर्शन वशिष्ठ, केशव शरण, ऋचा शर्मा, चमेली जुगरान तथा अंजना मिश्र के नवगीतों मेें भाषागत स्तर पर भले ही नवीनता न हो पर विषयों की विविधता दिखाई देती है। इस अंक के व्यंग्य बहुत प्रभावी नहीं कहे जा सकते हैं। लेकिन ग़ज़लों में विशेष रूप से दरवेश भारती, अशोक अंजुम तथा राम मेश्राम ने बहुत ही अच्छे ढंग से विधा का निर्वाहन किया है। ज्योति जैन व अशोक गुजराती की लघुकथाएं भी समसामयिक विषयों से जुड़ी रहने के कारण पाठकों को प्रभावित करती है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व पत्र-समाचार आदि भी जानकारी परक हैं।
धन्य्वाद
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