पत्रिका: गर्भनाल, अंक: April 2011, स्वरूप: मासिक, संपादक: सुषमा शर्मा, पृष्ठ: 52, मूल्य: 30रू(वार्षिक 240रू.), ई मेल: प्रकाशित नहीं , वेबसाईट: http://www.garbhnal.com/ , फोन/मो. 08989015017, सम्पर्क: डीएक्सई 23, मीनाल रेसीडेन्सी, जे.के. रोड़, भोपाल म.प्र.
गर्भनाल पत्रिका पूर्व से ही इंटरनेट पर उपलब्ध थी। यह प्रवासी भारतीयों की ख्यात मासिक पत्रिका है। इस अंक मंे विदेशों में रह रहे हिंदी के साहित्यकारों की रचनाएं प्रकाशित की गई हैं जो भारतीय लेखकों व साहित्यकारों की रचनाओं से किसी भी प्रकार से कमतर नहीं है। लेख ‘हिंदी का लेखक क्या करे?’(डाॅ. रवीन्द्र अग्निहोत्री), स्त्री मन की अप्रतिम प्रस्तोता: उषा प्रियंवदा’(डा. कला जोशी) तथा चाल्र्स डार्विन और विकासवाद(नवोदिता) में रचनाकारों की विषय पर पकड़ प्रभावित करती है। अमरीका की ख्यात हिंदी साहित्यकार प्रियदर्शिनी से सुधा ओम ढीगरा की बातचीत विदेशों में रह रहे हिंदी साहित्यकारों की पीड़ा व्यक्त करती है। गंगानंद झा का यात्रा वृतांत ‘क्या है उस पथ की ओर’ तथा राजकिशोर का रिपोतार्ज ‘ये किस देश के लोग हैं?’ संजोकर रखने योग्य रचनाएं हैं। अदिति मजूमदार, शकुन्तला बहादुर, बृजेन्द्र श्रीवास्तव, सोमनाथ नायक, अशोक कुमार व दिपाली सांगवान की कविताओं ग़ज़लों में विशिष्टता है। कहानियों में ‘दो मित्र’(भूपेन्द्र कुमार दुबे) तथा एप्लीक्स(भावना सक्सेना) भारतीय संस्कारों को अप्रवासी नजरिए से देखती है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं भी पठनीय है।
बहुत अच्छी
जवाब देंहटाएंसुंदर जानकारी जी, धन्यवाद
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