
यह वार्षिकांक है जिसे नारी विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया गया है। पत्रिका में प्रकाशित नारी विषयक रचनाएं नवीनता लिए हुए हैं। इन रचनाओं नारी की विषमताओं, जीवन की विसंगतियों तथा जटिलता पर विचार किया गया है। प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज, उषा जासवाल, मीनाक्षी स्वामी, डाॅ. कामिनी, बृजबाला सिंह, कुसुम शर्मा तथा स्नेहलता गुप्ता के लेखों में नारी मुक्ति की स्थिति व उसके प्रति चिंतन पर विचार किया गया है। अनुपमा चैहान, ज्योति कुशवाह, सविता भारद्वाज, आरती दुबे, अमिता सिंह तथा डाॅ. अंजलि ने क्षेत्रीय साहित्य, सतीत्व एवं स्त्री विषयों पर मूल्य परक दृष्टि पर विचार व्यक्त किए हैं। रीता गौतम, आदर्श राय, शारदा गायकवाड, गीता सिंह, प्रभा सोनवाड़े, अमिता दुबे, वीणा अग्रवाल तथा मंजुला गुप्ता ने बाजारवाद के दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए नारी विषयों का गहन विश्लेषण किया है। पत्रिका की अन्य रचनाओं में भी नारी चिंतन दिखाई देता है। (मेरे द्वारा लिखी गई यह समीक्षा जनसंदेश में प्रकाशित हो चुकी है।)
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