
साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश द्वारा प्रकाशित यह पत्रिका साहित्य जगत की एक प्रतिष्ठित पत्रिका है। इस अंक में तेलुगु के ख्यात लेखक बालशौरि रेड्डी से सुनील जोशी की बातचीत पत्रिका की उपलब्धि कही जा सकती है। ओम भारती एंव प्रेमशंकर शुक्ल की कविताएं ग्राम्य जीवन व उससे जुड़ी विषमताओं को सामने लाती है। राजेश झरपुरे, सुरेश कुमार वर्मा, चंद्रभान राही एवं कला जोशी की कहानियों में मानवीय मूल्यों को पुनस्थापित करने का प्रयास दिखाई देता है। डॉ. दादूराम शर्मा, विवेकी राय एवं दिनेश प्रभात के लेख अपने विषयों के साथ न्याय करते हैं। पत्रिका की समीक्षाएं तथा अन्य रचनाएं भी प्रभावित करती है। (मेरे द्वारा लिखी गई यह समीक्षा जन संदेश, कानपुर में प्रकाशित हो चुकी है।)
badhiya jankari !
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