
कथाप्रधान साहित्यिक पत्रिका कथाबिंब के समीक्षित अंक में सामाजिक सरोकारों से युक्त कहानियों का प्रकाशन किया गया है। प्रकाशित प्रमुख कहानियों में नील पाखी(अनुज प्रभात), एक परिचय अंतहीन(सतीश दुबे), कर्जा-वसूली(रमेश यादव), जन्म दिन मुबारक(इला प्रसाद) एवं पांचवीं कक्षा(निरूपमा राय) प्रमुख हैं। लघुकथाओं में पूरन सिंह, मंगला रामचंद्रन, ज्ञानदेव मुकेश तथा किशनलाल शर्मा की लघुकथाएं प्रभावित करती है। गोपालदास नीरज के सिवाय अन्य कवियों की कविताएं स्तरहीन व अप्रभावी हैं। इस तरह की कविताओं के प्रकाशन का कोई औचित्य नहीं है। पत्रिका के सतंभ की सामग्री भी सामान्य ही है। कंल मिलाकर कथाबिंब का यह अंक एक साधारण अंक है जो अपनी कोई छाप नहीं छोड़ सका है।
badhiya jankari !
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