पत्रिका: मैसूर हिंदी प्रचार परिषद पत्रिका, अंक: नवम्बर 2010, स्वरूप: मासिक, संपादक:डॉ. बी. रामसंजीवैया, डॉ. मनोहर भारती , पृष्ठ: 52, मूल्य: 5 रू.(वार्षिक: 50रू.) ई मेल: brsmhpp@yahoo.co.in , वेबसाईट: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 080.23404892, सम्पर्क: 58, वेस्ट ऑफ कार्ड रोड़, राजाजीनगर, बेंगलुरू कर्नाटक
कर्नाटक से प्रकाशित हिंदी साहित्य के इस उत्कृष्ट प्रयास की रचनाएं प्रभावित करती है। समीक्षित अंक में जनसामान्य से जुड़ी रचनाओं का प्रकाशन कर पत्रिका ने आम लोगों को हिंदी साहित्य एवं भाषा से जोड़ने का प्रयास किया है। प्रकाशित लेखों में विकास का संकट(एस.पी. केवल), राष्ट्रभाषा की महत्ता एवं हिंदी(महेश चंद्र शर्मा), हिंदी के अस्तित्व का संकट(मित्रेश कुमार गुप्त), राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार में आर्य समाज का योगदान(कृष्ण कुमार ग्रोवर), हरिवंश राय बच्चन और उनका साहित्य जगत(स्नेहलता), समकालीन हिंदी नाटक और रंगमंच(भरत स वाबलिया) एवं राम की शक्तिपूजा एक परिचय(निरूपमा कपूर) उल्लेखनीय है। पत्रिका का सबसे उपयुक्त व सार्थक आलेख लघुकथा को समर्पित राजेन्द्र परदेसी(दुर्गाशंकर त्रिवेदी) है। इस लेख में राजेन्द्र परदेसी जी के मार्फत लघुकथाओं के विकास व आम जन में स्वीकार्यता पर विचार किया गया है। राजेन्द्र परदेसी जी की लघुकथाएं समाज में परिवर्तन का संदेश देती हैं। इसे आलेख में त्रिवेदी जी ने अच्छी तरह से व्यक्त किया है। अंक की अन्य रचनाओं में लालता प्रसाद मिश्र, नरेन्द्र सिंह सिसोदिया, अनिल सवेरा, राज सक्सेना तथा मोहन तिवारी की कविताएं अच्छी व समयानुकूल हैं। डॉ. रामनिवास मानव एवं हितेश कुमार शर्मा की लघुकथाएं प्रभावित करती है। मनीष कुमार सिंह की कहानी कंपनी का कथानक नए संदर्भ लिए हुए है। प्रो. बी. बै. ललिताम्बा का लेख बोळुवार एक विशिष्ट साहित्यकार व्यक्तित्व कन्नड़ साहित्य जगत से हिंदी के पाठक का परिचय कराता है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं पत्र आदि भी पठनीय हैं।
बहुत अच्छी जानकारी जी धन्यवाद
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