
नाट्य प्रधान पत्रिका इप्टा वार्ता के समीक्षित अंक में जनउपयोगी समाचारों का प्रकाशन किया गया है। यह समाचार नाट्य से जुड़े लोगों के साथ साथ आम आदमी को भी नाटकों के प्रति रूचि जाग्रत करने में पूरी तरह से सहायक हैं। पत्रिका के मुख पृष्ठ पर समाचार ‘नेपथ्य में रहकर भी मंच पर ही रहे तनवीर’ एक ऐसा समाचार है जो आम जन की नाट््य व उसके स्वरूप पर जिज्ञासा शांत करता है। वसंत काशीकर का लेख ‘कहानी का रंगमंच’ नाट्य रूपांतर को लेकर लिखा गया एक सार्थक व पाठकों को नाटकों की बारीकियों से अवगत कराने वाला लेख है। समाचार रंगालाप नाट्य समारोह तथा आवाज का शेष भाग प्रभावित करता है। समाचार ‘रायपुर में हबीब की याद’, इफतेखार नाट्य समारोह तथा रवि वासवानी की यादें संदर्भ हेतु काफी विस्तृत जानकारी प्रदान करती हैै। पत्रिका का संपादकीय पढ़ने व मनन योग्य है।
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