पत्रिका: मैसूर हिंदी प्रचार परिषद पत्रिका, अंक: सितम्बर2010, स्वरूप: मासिक, संपादक: डाॅ. बी. रामसंजीवैया, गौरव संपादक: डाॅ. मनोहर भारती, पृष्ठ: 52, मूल्य: 5रू.(वार्षिक 50 रू.), ई मेल: brsmhpp@yahoo.co.in , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 080.23404892, सम्पर्क: मैसूर हिंदी प्रचार परिषद, 58, वेस्ट आॅफ कार्ड रोड़, राजाजी नगर, बेंगलूर 560010 कर्नाटक
कर्नाटक में हिंदी के प्रति आम जन में रूची जाग्रत कर रही यह पत्रिका अब हिंदी साहित्य जगत की एक अग्रगामी पत्रिका बन गई है। इसका त्रुटिविहीन व साफ सुथरा मुद्रण आकर्षित करता है। समीक्षित अंक में आलेख - हिंदी राष्ट्र की भाषासेतु है(प्रभुलाल चैधरी), राष्ट्रभाषा का स्वाधीनता से संबंध(मित्रेश कुमार गुप्त), शताब्दी के आइने में हिंद स्वराज(गणेश गुप्त), भारत और वैश्विक सांस्कृतिक समीकरण(डाॅ. अमर सिंह वधान), महान हिंदी सेवीःभारतेन्द्रु हरीशचंद्र(विनोद कुमार पाण्डेय) तथा साहित्यकार स्मृतिशेष कैसे बनते हैं?(प्रो. बी.वै. ललिताम्बा) पठनीय व शोध छात्रों के लिए उपयोगी हैं। जसविंदर शर्मा की कहानी, बी. गोविंद शैनाय की लघुकथाओं में ताजगी है। श्याम गुप्त एवं लालता प्रसाद मिश्र की कविताओं को अच्छी कविताओं मंे शामिल किया जा सकता है।

1 टिप्पणियाँ

  1. ्धन्यवाद जी, मैने आज वहां जा कर लिंक देखा, माफ़ी चाहुंगा उस दिन देख नही पाया

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