पत्रिका: कथाबिंब, अंक: 110, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादकः डाॅ.माधव सक्सेना ‘अरविंद’, पृष्ठ: 52, मूल्य:15रू.(.वार्षिक 50रू.), ई मेलः kathabimb@yahoo.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: http://www.kathabimb.com/ , फोनः 25515541, सम्पर्क: ए-10 बसेरा आॅफ दिन क्वारी रोड़, देवनार मुंबई 400088
कथा प्रधान पत्रिका कथाबिंब का समीक्षित अंक आम आदमी का यथार्थ सामने लाता हुआ एक उपयोगी अंक है। अंक में वह चुप है(डाॅ. रूपसिंह चंदेल), एक और एकलव्य(पुन्नी सिंह), इज्जत के रखवाले(डाॅ. पदमा शर्मा) एवं मंथन(विवेक द्विवेदी) की कहानियों में किसी न किसी रूप में आम आदमी जुड़ा हुआ है। आनंद बिल्थरे, राजकमल सक्सेना, कुंवर प्रेमिल, आशफाक कादरी एवं सीमा शाह जी की लघुकथाएं मात्र चुटकुले न होकर सहज सरल रूप से अपनी बात सामने लाती है। गाफिल स्वामी, सच्चिदानंद इसान, पंकज शर्मा एवं जयदीप पाल दीप की कविताएं भी अच्छी व पठनीय है। इस अंक की समीक्षाओं का स्वर कुछ कमजोर लगा पत्रिका को समीक्षा व उसके लेखन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अन्य स्थायी स्तंभ व रचनाएं भी अपेक्षित स्तर की हैं।

2 تعليقات

  1. नमस्ते आपकी और आपके ब्लॉग की चर्चा हमारे चर्चा मंच
    http://www.charchamanch.blogspot.com/
    पर कल सुबह प्रकाशित कर रहे हैं,जरुर पढ़ें ,सलाह सुझाव भी दीजिएगा.
    आपका माणिक -
    सम्पादक
    अपनी माटी
    17,Shivlok Colony,Sangam Marg,
    Chittorgarh-312001,Rajasthan
    Cell:-9460711896,9351278266(SMS),
    http://apnimaati.com

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  2. बहुत अच्‍छा है आपका यह प्रयास। शुभकामनाएं।

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