पत्रिका: पुष्पक, अंक: 04, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादकः डाॅ. अहिल्या मिश्र, पृष्ठ: 112, मूल्य:75रू.(.वार्षिक 250रू.), ई मेल: mishraahilya@yahoo.in , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 040.23703708, सम्पर्क: 93सी, राजसदन, वेंगलराव नगर, हैदराबाद 500038
हैदराबाद से प्रकाशित साहित्य का पुष्पक कई नई रचनाओं से युक्त है। पत्रिका के समीक्षित अंक में प्रकाशित प्रमुख कहानियों में मेरे अपने(शांति अग्रवाल), दुविधा के बादल(पवित्रा अग्रवाल), चिंगारी बनो(लक्ष्मी नारायण अग्रवाल), एक में सब(प्रो. एस. शेषारत्नम्), कब तक(डाॅ. करण सिंह उटवाल) का स्वर आज के समाज को नई दिशा देने के प्रति प्रतिबद्ध दिखाई देता है। पत्रिका की कविताएं सामाजिक उथल पुथल व बदलाव के प्रति कुछ नया कहने के लिए तत्पर हैं। इन कविताओं में रमा दिवेद्वी, यासमिन सुल्ताना नकवी, विनीता शर्मा, ज्योति नारायण, अशोक कुमार शेरी, उदित नारायण समदर्शी, प्रकाश सूना, मीना मुथा, उमाश्री, किरण सिंह, डाॅ. परमलाल गुप्त, अंजना अनिल जनार्दन यादव व अनुपमा दीप्ति की कविताओं में समाज के प्रति जबावदेही दिखाई देती है। अमृता प्रीतम पर एकाग्र आलेख व डाॅ. पवन अग्रवाल, एस. रविचंद्र राव, गणेश दत्त सारस्वत, अर्पणा दीप्ति के लेख प्रभावित करते हैं। इस अंक की लघुकथाएं कुछ अधिक नहीं कह सकीं है। पत्रिका की अन्य रचनाएं व पत्र समाचार आदि भी आकर्षक व पठनीय हैं।
बहुत सुंदर जानकारी दी जी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंपुष्पक निश्चित ही एक खूबसूरत पत्रिका है .
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें