पत्रिका: साक्षात्कार, अंक: दिसम्बर09-जनवरी10, स्वरूप: मासिक, प्रधान संपादकः देवेन्द्र दीपक, पृष्ठ: 120, मूल्य:30रू.(.वार्षिक 250रू.), ई मेल: sahitya_academy@yahoo.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 0755.2554782, सम्पर्क: साहित्य अकादमी, म.प्र. संस्कृति परिषद, संस्कृति भवन, बाण गंगा, भोपाल.03
यह जानकर प्रसन्नता होती है कि ख्यात पत्रिका साक्षात्कार अब धीरे धीरे नियमित प्रकाशन की ओर बढ़ रही है। समीक्षित अंक में प्रायः सभी रचनाएं उच्च कोटि की व पठनीय हैं। मृद ुला सिन्हा एवं भवानी ंिसंह की कहानी आज के वातावरण में आम आदमी के जीवन संघर्ष व्यक्त करने में सक्षम रही हैं। वरिष्ठ साहित्यकार देवेन्द्र शर्मा से संजय शुक्ल की बातचीत साहित्य सृजन व उनकी यात्रा से आम पाठक को परिचित कराती है। राजकुमार कुम्भज, पीताम्बर दास सराफ, रामनिवास झा, अरूण कुमार यादव एवं डाॅ. सुधा उपाध्याय की कविताएं मानव मन को बाह्य जगत से जोड़ती हुई प्रतीत होती है। आलेख साम्यवादी सिद्धांत और रामचंद्र शुक्ल(सदानंद प्रसाद गुप्त) एवं आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध(डाॅ. जगत सिंह विष्ट) विस्तारित होते हुए भी शोधरत छात्रों के लिए उपयोगी सामग्री है। अनुवादित रचना बर्फानी तूफान(अनुवाद-इंदुप्रकाश कानूनगो) में कहीं कहीं जटिलता आ गई है जिसे साहित्य का विद्यार्थी तो समझ सकता है लेकिन आम पाठक को पढ़ने में कठिनाई महसूस होती है। अश्वघोष, इशाक अश्क, अनूप अशेष के गीत व आचार्य अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी के दोहे प्रभावित करते हैं। सुदर्शन वशिष्ठ के व्यंग्य ‘बनना बड़ा आदमी’ में व्यंग्य अपनी उपस्थिति दर्ज कराते कराते रह गया। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व समाचार आदि भी उपयोगी है। साक्षात्कार को अपने साथ नए लेखकों व नए विचारों से युक्त लोगों को जोड़ने के प्रयास करना चाहिए जिससे यह पत्रिका पुनः अपना खोया हुआ स्थान प्राप्त कर सके। संपादकीय हिंदी रेलवे टाइम टेबल के माध्यम से हिंदी के साथ हो रहे दोयम दर्जे के व्यवहार की ओर संकेत करता है। बधाई

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