पत्रिका: हिमप्रस्थ, अंक: जून 10, स्वरूप: मासिक, संपादकः रणजीत ंिसंह राणा,, पृष्ठ: 56, मूल्य:5रू.(.वार्षिक 60रू.), ई मेल: himprasthahp@gmail.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोनः उपलब्ध नहीं, सम्पर्क: हिमाचल प्रदेश पिं्रटिंग प्रेस परिसर, घोड़ा चैकी, शिमला 5, हिमाचल प्रदेश
पत्रिका के समीक्षित अंक में पाठकों के ज्ञानार्जन के लिए उपयोगी आलेखों का प्रकाशन प्रमुखता से किया जाता है। इस अंक मंे सुमित्रा नंदन पंत का काव्य संसार(डाॅ. लीमचंद), हिंदी कविता में राष्ट्रीय चेतना(डाॅ. रामनाराण सिंह मधुर), मीडिया और नारी(विजय लक्ष्मी भारद्वाज), कबीर और मानवतावाद(सुरेश उजाला) एवं रश्मिरथी में दलित चेतना पठनीय व संग्रह योग्य आलेख हैं। कहानियों में कंगन(रणीराम गढवाली), घर छोड़ने से पहले(डाॅ. आदर्श) एवं हरकारा(डाॅ. गुलाबचंद कोटडिया) सामाजिक चेतना की कहानियां हैं। नरेन्द्र कुमार उदास, प्रत्यूष गुलेरी, जसविंदर शर्मा एवं देवांशु पाल की लघुकथाएं भी पाठक को नए चिंतन की ओर ले जाती हैं। डाॅ .लीला मोदी, अरूण कुमार शर्मा, अशोक दर्द एवं रमेश सोबती की कविताएं अच्छी व पठनीय हैं। डाॅ. अशोक गौतम का व्यंग्य व ओम प्रकाश सारस्वत की समीक्षाएं भी पत्रिका के स्तर के अनुरूप हैं।

3 تعليقات

  1. vaah ye to bahut acchhi baat hai ki itne saste me itana kuchh mil raha hai. jaankari ke liye dhanyavaad.

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  2. हिमप्रस्थ एक खूबसूरत पत्रिका है .इसे तो अवश्य पढ़ा जाना चाहिए.

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