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दक्षिण भारत से प्रकाशित यह पत्रिका हिंदी साहित्य एवं भाषा की परिपक्व पत्रिका है। इसका विविधतापूर्ण स्वरूप इसे सर्वस्वीकार्य बनाता है। इस अंक में डाॅ. एम. शेषन, डाॅ. बोढन मेहता बिहारी, अमित अश्विनी भाई पटेल, डाॅ. सूर्यप्रसाद शुक्ल, कांति अययर, प्रो. यशवंतकर एस.एल., प्रो. बी. वै. ललिताम्बा, डाॅ. टी.जी. प्रभाशंकर प्रेमी, विलास अं. सळुके एवं डाॅ. हेमवती शर्मा के आलेख हिंदी साहित्य एवं भाषा से परिचय कराते हैं। हितेश कुमार शर्मा का लेख एवं एस.पी. केवल की कहानी तथा जसविंदर शर्मा, बी. गोविंद शैनाय एवं प्रभाशंकर की लघुकथाएं पत्रिका की विविधातापूर्ण साहित्य प्रकाशित कर पाठके लिए लिए उसे सर्वसुलभ बनाने की मानसिकता उजागर करता है। राजेन्द्र परदेसी जी की कविता आभास ही दे दो मानव मन की अतल गहराइयों ें जाकर उदासी दूर करने व अपने कार्य मंे पूर्ण उर्जा व उत्साह से संलग्न होने की पे्ररणा देती है। पत्रिका की अन्य रचनाएं समाचार व समीक्षाएं भी पठनीय व उपयोगी हैं।
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