पत्रिका: केरल हिंदी साहित्य अकादमी शोध पत्रिका, अंक: 54, वर्ष 15, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: डाॅ. एन. चंद्रशेखर नायर, पृष्ठ: 22, मूल्य:20 रू.(आजीवन 1000 रू.), ई मेल: उपलब्ध नहीं, वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 0471.2542355, सम्पर्क: लक्ष्मी नगर, पट्टम पालस, तिरूवनन्तपुरम 695004 केरल
केरल राज्य से हिंदी भाषा एवं साहित्य के लिए इस प्रयास की जितनी भी सराहना की जाए कम है। पत्रिका का कलेवर व रचनाएं किसी हिंदी भाषी प्रदेश की पत्रिका से कमतर नहीं है। अंक में हिंदी के अंतराष्ट्रीय परिपे्रक्ष्य पर बच्चूप्रसाद सिंह का आलेख ध्यान देने योग्य हैै। देवेन्द्र चरण मिश्र ने भारत की राजभाषा नीति व उसके कार्यान्वयन पर विस्तार से लिखा है। विश्व में हिंदी के स्थान पर परिचयात्मक आलेख डाॅ. रामजीलाल जांगिड द्वारा लिखा गया है। हिंदी की समस्याओं, संभावनाओं एवं भविष्य पर मनोहर धरफले का लेख पठनीय है। पत्रिका की अन्य रचनाएं भी पाठक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं।

1 تعليقات

  1. बहुत ही अच्छी जानकारी दी आप ने धन्यवाद

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