पत्रिका: पूर्वग्रह, अंक: जनवरी-मार्च 10, स्वरूप: त्रैमासिक, प्रधान संपादक: प्रभाकर श्रोत्रिय, पृष्ठ: 128, मूल्य:30रू.(वार्षिकः 100) ईमेल: bharatbhavantrust@gmail.com , bharatbhavantrust@yahoo.co.in वेबसाईट: उपलब्ध नहीं, फोन/मो.(0755)2660239, सम्पर्क: भारत भवन न्यास, ज. स्वामीनाथन मार्ग, श्यामला हिल्स भोपाल, (म.प्र.)
पत्रिका का समीक्षित अंक आधुनिक रंगमंच के महास्रष्टा इब्राहिम अल्काज़ी पर एकाग्र है। पत्रिका में जितनी विविधापूर्ण व उपयोगी सामग्री प्रकाशित की गई है वह अब तक इब्राहिम जी पर कहीं प्रकाशित नहीं की गई। किरण भटनागर व चमन आहूजा ने उनसे साक्षात्कार में कला व उसकी विविधता व उपयोगिता पर विचार किया है। अल्काज़ी ने समकालीन भारतीय रंगमंच को दुनिया में प्रतिष्ठित किया है। इस पुुनीत कार्य के लिए भारतीय रंगमंच हमेश उनका ऋणी रहेगा। जयदेव तनेजा, भारत रत्न भार्गव व गिरीश रस्तोगी अपने अपने आलेखों में अल्काज़ी की नाट्य दृष्टि, रंगसंयोजन, प्रासंगिकता व नाटकों में पात्रों की भूमिका तथा उनके चयन पर विचार करते हैं। इन आलेखों में अल्काज़ी के संबंध में पाठक विस्तृत रूप से जान पाता है कि वास्तव में नाटक क्यों आज भी सर्वाधिक पसंद की जाने वाली विधा है। प्रमुख संस्मरणों में वह समय(सुधा शिवपुरी), मेरे श्रद्धास्पद गुरू(उत्तरा बावकर), मेरे गुरू इब्राहिम अल्काज़ी(रोहिणी हट्टगणी), अल्काज़ी साहब(नादिरा जहीर बब्बर), गुरूवर्य अल्काज़ी(प्रतिभा मतकरी), थिएटर के आदमी तुम फिल्म देखते हो?(सुरेन्द्र कौशिक), एन.एस.डी. के भाग्य विधाता(सविता बजाज), आपको अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा(जयंति भाटिया), वे अनमोल यादें(सुब्बा राव) व एक पुरानी याद(विजय कश्यप) प्रमुख हैं। पत्रिका के इस अंक की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। संग्रह योग्य यह अंक प्रत्येक साहित्य व कला मर्मज्ञ के सेल्फ पर होना चाहिए।
एक बहुत अच्छी जानकारी जी.
ردحذفधन्यवाद
यह बहुत महत्वपूर्ण अंक है । मैने देखा है ।
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