
पत्रिका के समीक्षित अंक में कुछ महत्वपूर्ण व पठ्नीय रचनाओं का प्रकाशन किया गया है। इनमें प्रमुख हैं- स्वतंत्रता प्राप्ति के 62 साल बाद(ए.पी. भारती), उत्तराखण्ड की जनआकांक्षाओं के विपरीत(कु. अनुराधा), शिक्षा का अधिकार छीनने में लगी है सरकार(प्रदीप रावत स्वामी) एवं अन्य आलेख। भारतीय नारी दशा और दिशा आलेख में डाॅ. संजय सिंह ने इसे समाप्त करने में शीघ्रता की है आलेख को और अधिक विस्तार दिया जाना चाहिए था। कहानी में खिलौना(रमेश मनोहरा) छोटी होते हुए भी लाचार वेवश स्त्री की व्यथा व्यक्त करने में सफल रही है। सोनिका मिश्र, कमलेश जोशी ‘कमल’, कैलाश चंदौला व बी.पी. दुबे की कविताएं अच्छी व विचारने योग्य है। पत्रिका नवोदित साहित्यकारों के लिए अपने नाम के अनुरूप प्रेरणा देने का कार्य करती दिखाई देती है।
िस जानकारी के लिये आभार्
ردحذفअच्छी जान कारी दी आप ने.
ردحذفधन्यवाद
शुक्रिया!
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