
समावर्तन ने जिस शीघ्रता से साहित्यिक पत्रिकाओं के शिखर पर अपने आप को स्थापित किया है वह स्वागत योग्य है। यह सब प्रधान संपादक रमेश दवे व उनके सहयोगियों के बिना संभव नहीं था। पत्रिका अंतर्राष्ट्रीय मानकों व मानदण्ड़ों के अनुरूप व स्तरीय है। समीक्षित अंक में ख्यात कवि कंुवर नारायण पर महत्वपूर्ण आलेख के साथ साथ जानकारी दी गई है। प्रताप सिंह सोढ़ी, सुरंजन एवं विजय की रचनाएं पठनीय व संग्रह के योग्य है। वरिष्ठ साहित्यकार व संपादक कन्हैया लाल नंदन पर विशेष सामग्री इस पत्रिका का दूसरा प्रमुा आकर्षण है। डाॅ. प्रभात कुमार भट्टाचार्य, कृष्णदत्त पालीवाल एवं कमल कुमार ने अपने आलेखों में विशेषज्ञता का परिचय दिया है। मोहम्मद रफीक खान, विष्णुदत्त नागर, जयकुमार जलज, मधुसूदन शाहा एवं सरोज कुमार की रचनाएं उल्लेखनीय बन पड़ी हैं। हमेशा की तरह श्रीराम दवे ने पत्रिकाओं की समीक्षा के माध्यम से आम जन को इन पत्रिकाओं से अपनी विशिष्ठ शैली में परिचय कराया है।
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ردحذفप्रत्येक बुधवार सुबह 9.00 बजे बनिए
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क्रियेटिव मंच
समावर्तन के लिए रमेश दवे के प्रयास सराहनीय है.
ردحذفआपका हिंदी साहित्यिक पत्रिकाओं से परिचय कराने के लिए आभार!
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