
आलेख प्रधान इस पत्रिका के समीक्षित अंक में बहुत ही उपयोगी व संग्रह योग्य आलेखों का प्रकाशन किया गया है। इनमें प्रमुख है- राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त(डाॅ. अनिल कुमार), लोकगीतों का अमर साहित्यकार देवेन्द्र सत्यार्थी(शशिभूषण शलभ), आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की निबंध शैली(डाॅ. ओमप्रकाश सारस्वत) एवं लोकमान्य होने का अर्थ(प्रो. चमनलाल गुप्त) विजय रानी बंसल की कहानी ‘आखिर कब तक’ एक अच्छी व विचारणीय कहानी है। लघुकथाओं में पंकज शर्मा व शबनम शर्मा प्रभावित करते हैं। डाॅ.प्रदीप शर्मा, जयचंद, आदर्श एवं डाॅ. प्यार चंद्र की कविताएं अच्छी रचनाएं हैं। डाॅ. वंदना वीथिका का व्यंग्य कुछ अधिक अनावश्यक विस्तार पा गया है। अन्य स्थायी स्तंभ व समीक्षाएं पत्र आदि पत्रिका की सार्थकता को बढ़ाते हैं।
जानकारी के लिये आभार ।
ردحذفजानकारी के लिये धन्यवाद
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