पत्रिका-प्रेरणा, अंक-जुलाई-जून.09, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-अरूण तिवारी, पृष्ठ-178, मूल्य-रू.20(वार्षिक 100रू.डाक व्यय सहित), संपर्क-ए-4, पेलेस आर्चड़ रोड़, फेज़-03, सर्वर्धम के पीछे, कोलार रोड़, भोपाल म.प्र.
पत्रिका के समीक्षित अंक में विविधतापूर्ण साहित्यिक सामग्री का समावेश किया गया है। प्रमुख आलेखांे मंे शिवसिंह पतंग, डाॅ. सुभाष रस्तोगी, राधेलाल विजघावने, परमानंद श्रीवास्तव, विजय मोहन शर्मा, पुष्पलता सिंह, सुरेश पण्डित तथा प्रमोद भार्गव के आलेख पठ्नीय तथा विचारपूर्ण है। विमर्श के अतंर्गत षीना एन.बी. तथा डाॅ. परशुराम शुक्ल ‘विरही’ विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। कहानियों में साहब का कुत्ता(प्रद्युम्न भल्ला), मकड़ी का जाल(कैलाश चंद्र जायसवाल) तथा रेशमी लिहाफ(विनीता अग्रवाल) आज के समय को व्यक्त करती हुई रचनाएं हैं। कमल चोपड़ा तथा अखिलेश शुक्ल की लघुकथाएं लघु होेते हुए भी किसी उपन्यास की सी मारक क्षमता रखती हैं। कविताओं में ड़ाॅ. सरोजनी प्रीतम, राजेन्द्र उपाध्याय, राग तेलंग, केशव तिवारी, रति सक्सेना, नवल जायसवाल, दिनकर कुमार रचनाओं के साथ सच्चे अर्थ में न्याय कर सके हैं। इन कविताओं में कथ्य की पुनरावृति की अपेक्षा शिल्पगत तथा विधागत नवीनतादं दिखाई देती हैं। कैलाश पचैरी, अदिति मिश्र, राम मेश्राम तथा अनिरूद्ध सिन्हा, अशोक अंजुम, भागवत प्रसाद राय की ग़ज़लें नए दौर की ग़ज़ल व कविताएं हैं। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं, पत्र, परिचर्चा तथा संपादकीय स्तरीय तथा पठ्न योग्य है। एक अच्छे अंक के लिए संपादक तथा उनकी टीम बधाई की पात्र है।

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