
समीक्षित पत्रिका सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग उ.प्र. द्वारा प्रकाशित पठनीय पत्रिका है। इस अंक में पांच आलेख प्रकाशित किए गए हैं। जिनमें बौद्ध धर्म का वैश्विक अध्ययन(प्रो. अगने लाल), वर्णित आदर्शोन्मुख यथार्थवाद(डाॅ. सम्राट सुधा), कहावतों की शाम(इन्दर चन्द्र तिवारी) प्रमुख है। आलेखों के विषय समकालीनता, समाज तथा संस्कृति के साथ साथ साहित्यिकता से भरपूर है। आचार्य रजनीकांत शर्मा की कहानी ‘मृगलोचनी’ तथा श्याम सुंदर सुमन व उमेश चन्द्र सिंह की लघुकथाएं पत्रिका के उद्देश्य की पूर्ति करती दिखाई देती है। पत्रिका की सहेज कर रखने योग्य रचना राजेन्द्र परदेसी द्वारा डाॅ. सुशीला गुप्ता से लिया गया साक्षात्कार है। आजकल तकनीकि हो चुके लेखन व सृजन जैसे विषयों को प्रश्नों के माध्यम से लेखन कला पर गंभीरता पूर्वक विचार किया गया है। विवेक कुमा मिश्र, जसविंदर शर्मा, राजेन्द्र निशेश, जय प्रकाश मिश्र की कविताएं प्रभावित करती है। तारकेश्वर शर्मा विकास का व्यंग्य ललित निबंध सा लगता है। डाॅ. सुकदेव श्रोत्रिय का संस्मरण रेखाचित्र का आभास कराता है। पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ तथा रचनाएं भी पत्रिका के स्तर के अनुरूप हैं। अच्छे उपयोगी अंक के लिए संपादक व उनकी टीम बधाई की पात्र है।
बहुत अच्छी जानकारी .आप कहां कहा से इतनी अच्छी जानकारी लाते है, सच मै बहुत मेहनत का काम है.
ردحذفधन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
मुझे इस अंक से ठीक पहले यानी अप्रैल का अंक चाहिए।
ردحذفकृपया , साझा करें!
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