
पत्रिका का समीक्षित अंक ख्यात कथाकार उदयप्रकाश पर एकाग्र है। अंक में उन पर अत्यधिक उपयोगी तथा सार्थक सामग्री संजोयी गई है। ज्यादातर पाठक उदयप्रकाश के कथाकार रूप से ही परिचित हैं लेकिन वे एक उत्कृष्ट कवि भी हैं। इन कविताओं मेें आज का समाज तथा उसकी स्थिति दिखाई देती है। रेखा सेठी से साक्षात्कार में उन्हांेने स्वीकार किया है कि वे मूलतः एक कवि हैं। वे कहते हैं कि उनकी कहानियां कवित ा का ही एक्सटेंशन है। उदयप्रकाश की कहानियों पर खालिद जावेद में अपने आलेख में स्पष्ट किया है कि ये कहानियां प्रतिरोध की कहानियां है। तिरिछ, टेपचूं, छप्पन तोल का करधन, और अंत में प्रार्थना तथा मोहनदास जैसी कहानियां हिंदी कथा साहित्य को पाश्चात्य कथा साहित्य के समकक्ष रखती हैं। पाकिस्तान की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘आज’ के संपादक अजमल कमाल की यह टिप्पणी गौर करने लायक है कि, ‘पाकिस्तान में वैसे तो सबकुछ है, मगर वहां कोई उदयप्रकाश नहीं है।’ अजमल कमाल का यह कहना सिद्ध करता है कि उदयप्रकाश का कथा साहित्य भारतीय भाषाओं सहित विश्व की अनेक भाषाओं के लिए मागर्दशक बना हुआ है। वी. विजय कुमार तथा कैलाश चन्द्र के आलेख भी उनकी कहानियों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हैं। पुतला, पीली छतरी वाली लड़की, पालगोमरा का स्कूटर, दद्दू तिवारीःगणना अधिकारी, साइकिल तथा नेलकटर जैसी कहानियां आधुनिक यर्थाथ तथा भावबोध की अभिव्यक्ति है। अन्य रचनाओं में छापा कला प्रयोग और प्राविधि(ज्योति भट्ट), आनंद का अनहद(विनय उपाध्याय), परिवर्तन का उद्घोष स्लमडाॅग करोड़पति(अरविंद कुमार) भारत में अमरिका और युगांण्डा(आलोक पुराणिक), रंग निर्देशों के बदलते स्वरूप(देवेन्द्र राज ठाकुर) तथा निगम आगम एवं पुराण में सरस्वती(राममूर्ति त्रिपाठी) के आलेख पत्रिका की व्यापकता को स्पष्ट करते हैं। संग्रहयोग्य उपयोगी अंक के लिए पत्रिका के संपादक तथा उनकी टीम बधाई की पात्र है।
्बहुत ही अच्छी जानकारी के लिये आभार
ردحذفशुक्रिया अखिलेश जी
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