पत्रिका-कृतिका, अंक-जनवरी-जुलाई.09, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-वीरेन्द्र सिंह यादव, पृष्ठ-155, मूल्य-60रू.(वार्षिक200रू.), संपर्क-1760, नया रामनगर, उरई जालौन उ.प्र.(भारत)
शोधपरक पत्रिका कृतिका विविधतापूर्ण शोधपरक आलेखों से युक्त है। पत्रिका में आलेखों को उनके विषय के आधार पर सुंदर ढंग से संयोजित किया गया है। भूमण्डलीकरण के अंतर्गत डाॅ. सुनीता शर्मा, डाॅ. मीनाक्षी व्यास तथा डाॅ. लीना चैहान के खोजपरक आलेख हंै। पुरानी यादें नये परिप्रेक्ष्य में आरती कुमारी, डाॅ. प्रतिभा पटैल तथा डाॅ. पुनीत विसारिया प्रभावित करते हैं। आधी दुनिया का स्याह यथार्थ में मधुपर्णा मुखर्जी तथा संजय सक्सेना की रचनाएं हैं। सुशील शर्मा तथा चन्द्रशेखरन नायर स्मृति के झरोखों से मुक्तिबोध को याद करते हैं। डाॅ. अजय सिंह तथा प्रो. पूनम सिंह के सुलगते सवाल समाज से प्रतिप्रश्न करते हैं। डाॅ. श्रीनिवास यादव तथा राकेश शुक्ल के प्रश्न ज्वलंत हैं। डाॅ. ज्योति सिन्हा का संगीत बौद्ध काल तक का सफर कराता है। अरूण कुमार सिंह बच्चों की समस्याओं का मनोवैज्ञानिक समाधान सुझाते हैं। डाॅ. सुधीर कुमार सिंह ने बाल वैश्यावृति पर गंभीर बहस प्रस्तुत की है। इस अंक में प्रस्तुत की गई पत्रिकाओं/संग्रह की समीक्षा भी अपने आप में शोधपरक आलेख हैं। पत्रिका शोधार्थियों के साथ साथ आम पाठक को रचना जगत की सैर कराती है।
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3 تعليقات

  1. बहुत अच्छी जानकारी दी आप ने .धन्यवाद

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  2. शुक्रिया अखिलेश जी इस जानकारी के लिये।
    मैं गिरिराज किशोर जी द्वारा संपादित "अकार’ की सदस्य्ता का इच्छुक था। कुछ जानकारी दे सकते हैं क्या अखिलेश जी?

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  3. vastav me rochak jankari hai ye. prakashit karne ke liye dhanyawad.
    sath me AKHILESH JI, I am unable to find your mail id it's not opening here and closing the internet explorer again and again. i want to send you some poems, can you please contact me on mashal.com@gmail.com.
    Thanks
    yours sincerely-
    Dipak Chaurasiya 'Mashal'

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