पत्रिका-हिमप्रस्थ, अंक-अप्रैल.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-रणजीत सिंह राणा, पृष्ठ-56, मूल्य-5रू.(वार्षिक50रू.), संपर्क-हिमाचल प्रदेश प्रिटिंग प्रेस परिसर, घोड़ा चैकी, शिमला-5, हिमाचल प्रदेश (भारत) पत्रिका हमेशा से ही हिंदी साहित्य पर महत्वपूर्ण आलेखों का प्रकाशन करती रही है। समीक्षित अंक में हर चील हो रही है नीलाम(दुर्गाशंकर त्रिवेदी), उपेक्षित मानवता के प्रवक्ता डाॅ. अम्बेड़कर(रामसिंह यादव), जनसंचार माध्यम स्वरूप एवं भूमिका(भवानी सिंह) अलग हटकर लिखे गए हैं। इन आलेखों में साहित्य के साथ साथ वर्तमान जीवन के संदर्भ भी दिखाई देते हैं। कहानियों में बिगड़ा हुआ आदमी(रतिलाल साहीन), अज्ञातवास(विनोद ध्रव्याल राही) नयापन लिए हुए है। अशोक दर्द तथा रामकुमार सांभरिया की लघुकथाएं अधिक व्यापकता की मांग करती हैं। कविताओं में भाग्यफल(डाॅ. दिनेश चमोला), अभिसार(रूपान्तर संतोष साहनी), कहां गए वे दिन(प्रदीप शर्मा) तथा जिंदगी की राह पर(जयपाल ठाकुुर) उल्लेखनीय हैं। पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ यात्रा वृतांत तथा व्यंग्य रोचक तथा पठनीय हैं। रू. 5 में इतनी उपयोगी तथा संग्रह योग्य सामग्री तारीफे काबिल है। Arrange your own love marriage? Register at Shaadi.com Matrimonials

3 टिप्पणियाँ

  1. इस युग में 5 रुपए में पत्रिका आठवाँ आश्चर्य ही है।

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  2. अभूतपूर्व जानकारी...
    ये रणजीत सिंह राणा जी जैसे संपादकों के प्रयास से ही संभव है

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  3. बहुत आभार ऐसी जानकारी देने के लिए.

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