
सन् 1990 में स्थापित पत्रिका सौहार्द का समीक्षित अंक हास्य व्यंग्य विशेषांक है। अंक में कुछ बहुत ही अच्छे चुने हुए व्यंग्यों को शामिल किया गया है। एक गधे का रोजनामचा(ऋषि मोहन श्रीवास्तव), नव वर्ष मंगलमय हो(गोविंद शर्मा), मैरिज ब्यूरो(सन्त समीर), नानी की कहानी(सर्वेश आस्थाना), चलती हुई फाइल(जगदीश ज्वलंत), बर्थ डे अनारकली का(राजेन्द्र परदेसी) तथा आया एडमीशन का मौसम(अखिलेश शुक्ल) प्रमुख है। पत्रिका की अन्य रचनाएं कविताएं तथा स्थायी स्तंभ भी प्रभावशाली हैं। लेकिन दुख का विषय है कि आज के व्यावसायिक युग में हिंदी साहित्य की स्तरीय तथा रचनात्मकता से भरपूर पत्रिकाओं को कोई पूछने वाला भी नहीं है।
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अखिलेश जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा जानकारी जो एक साहित्य सेवी / प्रेमी / रसिक के लिये अत्यंत उपयोगी है, का नियमित प्रकाशन करके आप हिन्दी की जो सेवा कर रहे हैं, वह अप्रतिम एवं सराहनीय है।
साधुवाद,
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
यह कहना ज़्यादा सही है - "आज के व्यावसायिक युग में हिंदी साहित्य की स्तरीय तथा रचनात्मकता से भरपूर पत्रिकाओं को पूछनेवालों की संख्या बहुत घट गई है!"
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया!!
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