
साक्षात्कार के समीक्षित अंक में डोगरी की प्रख्यात कवयित्री पद्मा सचदेव से बातचीत में डोगरी भाषा व उसके साहित्य का परिचय मिलता है। अमृत लाल वेगड़ की नर्मदा परिक्रमा इस नदी को भारतीय संस्कृति से जोड़ती हुई दिखाई देती है। मृदुला सिन्हा व गोविंद उपाध्याय की कहानियां समय का सार्थक कथन है। तेजराम शर्मा, निशांत तथा प्रदीपकांत की कविताएं देशकाल का प्रतिबिम्ब है। आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी, वीरेन्द्र सिंह आलेख तथा शंकर पुणताम्बेकर का व्यंग्य पठ्नीय रचना है। पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ तथा पत्र समीक्षा आदि अंक को पठ्नीय बनाते हैं। संपादकीय में श्री देवेन्द्र दीपक ने भारतीय चिंतन की व्यापकता को स्पष्ट किया है। उनके अनुसार, ‘समय और सम्यक भारतीय सोच के दो विशिष्ट आयाम हैं।’
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आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंमैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,
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