
साहित्य सागर अपने प्रत्येक अंक में किसी न किसी नए विषय को उठाकर उस पर उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करता रहा है। समीक्षित अंक में विविधतापूर्ण साहित्यिक सामग्री के साथ साथ व्यंग्य पर विशेष आलेख प्रकाशित किए गए हैं। डाॅ. परसुराम विरही, कुमार सुरेश, डाॅ. देवप्रकाश खन्ना ‘देव’, के आलेख पठनीयता से ओतप्रोत हैं। व्यंग्य लेखों में सतीश चतुर्वेदी, मीरा मानसिंह, गफूर स्नेही तथा डाॅ. पुष्पारानी गर्ग के लेख व्यंग्य के साथ साथ हास्य का पुट भी लिए हुए हैं। पत्रिका के स्थायी स्तंभ में जगदीश किंजल्क, डाॅ. रामकिशन सोमानी, रमेश सोबती, श्रीमती प्रभा पाण्डेय की रचनाएं नयापन लिए हुए है। व्यंग्य कविताओं में रमेश चन्द्र खरे, शंकर सक्सेना, माणिक वर्मा, डाॅ. दामोदर शर्मा, कमलकांत सक्सेना, रमेश मनोहर तथा राम सहाय व्यंग्य के साथ पूरी तरह न्याय कर सके हैं। हास्य व्यंग्य प्रधान इस उत्तम अंक के लिए बधाई।
आज पहली बार आपके ब्लाग में आया हूं, बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं अखिलेश भाई आप । आपकी उर्जा वंदनीय है ।
जवाब देंहटाएंइस ब्लाग पर भविष्य में और पत्रिकाओं एवं लघुपत्रिकाओं से साक्षातकार होगा, ऐसा हमें विश्वास है ।
bahut khoob.. bahut achchi jankari de rahe hain aap.. abhaar..
जवाब देंहटाएंसाधुवाद इस उम्दा कार्य के लिए.
जवाब देंहटाएंपहली बार ब्लॉग पर आया /पत्रिका अवश्य ही प्राप्त करूंगा /वैसे हंस ,पाखी आदि पत्रिकाएं पढता हूँ और पत्र bhee लिख दिया करता हूँ कभी कभी वे छाप भी देते है ,कभी फाड़ कर भी फैंक देते है /साहित्य अमृत ,नया ज्ञानोदय ,वयां, बागर्थ ,और आपके भोपाल से एक त्रैमासिक पत्रिका वसुधा निकलती है ,पढने का शौक है तो पढता रहता हूँ /आपने जानकारी दी ,धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअखिलेश शुक्ल जी बहुत ही सुंदर लगा आप के यहां आ कर.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
अखिलेश आपने वाकई अपने ब्लॉग के लिए एक अच्छा सब्जेक्ट चुना है और लगातार पत्रिका के अंकों की लघु समीक्षा दे रहे हैं। ये एक अच्छी शुरूआत है। आपकी संपादित पत्रिका देखने की इच्छा है।
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