पत्रिका-रंग अभियान, अंक-तेरह चैदह,स्वरूप-अनियतकालीन, संपादक-डाॅ. अनिल पतंग, पृष्ठ संख्या-72, मूल्य-20रू., संपर्क-नाट्य विद्यालय, वाघा, बेगूसराय 851.218 (बिहार)
नाट्य विधा पर प्रकाशित होने वाली यह एक महत्वपूर्ण पत्रिका है। समीक्षित अंक प्रख्यात नाटककार एवं नाट्य साहित्य मर्मज्ञ डाॅ. सिद्धनाथ कुमार पर एकाग्र है। अंक में उनके लेखन व्यक्तिगत जीवन तथा सृजन पर विस्तृत चर्चा की गई है। डाॅ. सिद्धनाथ कुमार के दो महत्वपूर्ण आलेख ‘भारत के नाट्य शास्त्र की मूल बातें’ तथा नाटककार और नाट्य निदेशक’ बहुत ही सूक्ष्म ढंग से नाट्य संयोजन, प्रदर्शन व प्रस्तुतीकरण के साथ-साथ दर्शक की भूमिका पर प्रकाश डालते हैं। डाॅ. नरेन्द्र झा, निर्मल मिलिन्द, सरोज राय, राम निहाल गंुजन, श्रवण कुमार गोस्वामी ने डाॅ. सिद्धनाथ कुमार के नाट्य शिल्प दृष्टि के साथ-साथ उनके सृजन की विशेषताओं पर चर्चा की है। डाॅ. सिद्धनाथ कुमार की दो समसामयिक रचनाएं ‘वे अभी भी क्वांरी है’(रेडियो रूपक) तथा ‘साझे का मकान’(प्रहसन) समाज में व्याप्त समस्याओं को खोज कर उनके हल सुझाने का सफल प्रयास है। पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ भी आकर्षित करते हैं।

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