
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से प्रकाशित होने वाली यह मासिक साहित्यिक पत्रिका समाज में व्याप्त कुरीतियों को सत साहित्य के माध्यम से खत्म करने के लिए कृतसंकल्पित है। पत्रिका का पहला आलेख जीवराज सिंधी ने लिखा है जिसमें उन्होंने माना है कि मुस्लिम समाज ही आतंकवाद खत्म करेगा। क्योंकि इस्लाम के अंदर आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है। अमेरिकी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ओबामा के बारे में वे लिखते हैं कि उन्हें अपने कार्यो को अंजाम देने में वक्त लगेगा। उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। आर.पी. सिंह अपने आलेख में ॔स्वतंत्रता संग्राम में पत्र एवं पत्रकारों की भूमिका पर गंभीरता से विचार करते हैं। उस समय देश भर के पत्रकारों ने अपनी अपनी भूमिका के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना जगाने का महत्वपूर्ण कार्य किया था। एक ओर जहां काशी नाथ सिंह मीडिया के चुप रहने के फायदे बताते हैं वहीं दूसरी ओर जगदीश श्रीवास्तव अपने आत्मकथ्य में भारतीय नगरों एवं ग्रामों की सेर कराते हैं। पत्रिका में जगदीश श्रीवास्तव, नरेन्द्र जैन, सुखदेव सिंह कश्यप की कविताएं विचारने के लिए बाध्य करती हैं। सतीश चतुर्वेदी, डॉ. नीरज कनौजिया एवं रामकृष्ण सोमानी के आलेख सम सामयिक साहित्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। अन्य रचनाएं तथा सभी स्थायी स्तंभ भी पत्रिका की उपयोगिता में वृद्धि करते हैं।
जानकारी के लिए आभार...।
ردحذفअखिलेश जी,
ردحذفबहुत ही प्रशंसा की बात है कि आपने समीक्षा की भाषा अत्यंत परिष्कृत और दृष्टि बहुत संतुलित बनाए रखी है। आपका ब्लॉग भी अपनी तरह का अनोखा है। इससे पता चलता है कि इस माह हम क्या क्या पढ़ें। क्या ही अच्छा हो कि आप वेब पत्रिकाओं पर भी समीक्षा प्रस्तुत करें ताकि लोग अपनी रुचि के अनुसार पत्रिकाओं का चयन कर पढ़ सकें। आज तो वेब पर भी इतनी पत्रिकाएँ हैं कि सबको पढ़ सकना संभव नहीं। आपका ब्लॉग ऐसे समय में व्यस्त पाठकों की बहुत मदद कर सकता है।
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