पत्रिका-प्रेरणा, अंक-अक्टू-जून 08, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-अरूण तिवारी, मूल्य-20रू। वार्षिक-100 रू. सम्पर्क-ए-74, पैलेस आर्चड, फेज-3, सर्वधर्म के पीछे, कोलार रोड़, भोपाल (म.प्र.)
पेरणा का यह अंक स्मरण अंक है। इसमें ‘कबीर से लेकर कमलेश्वर’ तक के अग्रज रचनाकारों पर सारगर्भित लेख दिए गए हैं। कालम बहस के लिए’ के अंतर्गत कवित की रचना व उसके स्वरूप पर विमर्श प्रस्तुत किया गया है। हितेश व्यास, कुमार रवीन्द्र, पे्रमशंकर रघुवंशी ने गहन गंभीर चिंतन प्रस्तुत किया है। डाॅ. वीरेन्द्र मोहन तथा मुशर्रफ आलम जौकी के आलेख हिंदी की प्रारंभिक आलोचना हस्तक्षेप के साहित्य मंे कहानी का योगदान स्पष्ट करती है। ‘चिंतन’ के अतर्गत यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’, डाॅ. प्रमोद त्रिवेदी, डाॅ. सुभाष रस्तोगी के आलेख सम्मलित किए गए हैं। स्मरण खंड़ के अतर्गत कबीर(डाॅ. प्रभा दीक्षित), निराला(डाॅ. दौलत राम वाढेकर), प्रेमचंद(सुलतान अहमद), महादेवी वर्मा(डाॅ. कुमार विमल), हरिशंकर परसाई(डाॅ. धनंजय वर्मा), यशपाल(राजेन्द्र परदेसी), मुक्तिबोध(सुब्रतो दत्ता), वनमाली(संतोष चैबे), भीष्म साहनी(डाॅ.प्रभा दीक्षित), नागार्जुन(डाॅ. राण प्रताप), शानी(डाॅ. धनंजय वर्मा), सर्वेश्वर दयाल सक्सेना(अनिल सिन्हा), त्रिलोचन(विजय बहादुर सिंह), दुष्यंत कुमार(राजुरकर राज तथा धनंजय वर्मा), सत्येन कुमार(अनिता सभरवाल), श्रीकांत वर्मा(माताचरण मिश्र), कमलेश्वर(अरूण तिवारी की अंजना मिश्र के संयोजन में चर्चा) आदि पठ्नीय रचनाएं हैं। कहानियों में सूर्यकांत नागर, प्रकाश कांत, विजय गौड़, कुमार शैलेन्द्र की कहानियां समकालीन परिदृश्य का विस्तृत फलक प्रस्तुत करती है। सभी कविताएं तथा ग़ज़ल विशेष रूप से केवल गोस्वामी, के.जी. पिल्लई, लाल्टू, श्रेयश जोशी, नूर मोहम्मद नूर, उद्भ्रांत, आलोक सातपुते, श्रानदेव मुकेश, कृष्ण कुमार यादव, प्रभावित करते हैं। पुस्तक चर्चा के अंतर्गत अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय(केवल नाम के संदर्भ में) रचनाकारों की पुस्तकें ली गई हैं जिनमे सभी विधाओं को सम्मलित कर लिया गया है। पत्रिका को पर्याप्त समय देकर इससे अतीत से वर्तमान तक का बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है।

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