
पत्रिका अंचल भारती का यह अंक काशी पर एकाग्र है। अंक में काशी की संत एवं धार्मिक परंपरा को डॉ। नीरजा माधव ने अपने आलेख में बाखूबी प्रस्तुत किया है। काशी के जीवन दर्शन, मेले-उत्सव तथा हास्य परंपरा पर डॉ। जितेन्द्र नाथ मिश्र, अरूणेश, धर्मशील चतुर्वेदी तथा डॉ। रामसुधार सिंह ने गंभीरता पूर्वक विचार किया है। काशी की गलियों और शिवलिंग के साथ-साथ जयशंकर प्रसाद जी का भी नाता है। उसपर आनंद स्वरूप श्रीवास्तव, पंकज कुमार सिंह, डॉ. देवीप्रसाद कुंवर तथा किरण मराली ने अपने विशेष आलेखों में खोजपरक टिपण्णी की है। पत्रिका के सभी स्थायी स्तंभ तथा पत्र विचार ध्यान आकर्षित करते हैं।
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