पत्रिका: पुष्पक, अंक: 15, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: डाॅ. अहिल्या मिश्र, पृष्ठ: 112, मूल्य:75रू. (वार्षिक 250रू.), ई मेल: mishraahilya@yahoo.in , वेबसाईट: , फोन/मो. (040)23703708, सम्पर्क: 93सी, राजभवन, वेंगलराव नगर, हैदराबाद 500038 सी-7 आंध्रप्रदेश
पत्रिका पुष्पक के समीक्षित अंक मंे अच्छी व पठनीय रचनाओं को प्रमुखता से स्थान दिया गया है। सभी कहानियां आज के वातावरण तथा अपसंस्कृति पर विचार करती दिखाई देती है। इनमें प्रमुख हैं - मानवता जीवित है(शांति अग्रवाल), पुराना प्रेमी(पवित्रा अग्रवाल), पिता की ममता(रमा द्विवेदी), शपथ(मधु भटनागर), सबका मालिक एक है(वी. वरलक्ष्मी)। लघुकथाओं में संजय कुमार द्विवेदी, विनादिनी गोयनका, सुधाकर आशावादी, विक्की नरूला, प्रेमबहादुर कुलश्रेष्ठ एवं जगदीश पाठक प्रभावित करते हैं। ए. अरविंदाक्षन, अहिल्या मिश्र, हीरालाल प्रसाद जनकवि, रामशंकर चंचल, देवेंन्द्र कुमार मिश्रा, अनिल अनवर, ज्ञानेंद्र साज, यासमीन सुल्ताना, सुरेंन्द्र अग्निहोत्री, कमल सिंह चैहान, शुभदा पाण्डेय, सराफ सागरी, चंपालाल बैड, मीना मुथा, डाॅ. सुरेश उजाला की कविताएं मानव को कुछ नया करने के लिए प्रेरित करती हैं। सत्यप्रकाश अग्रवाल एवं राजेन्द्र परदेसी के व्यंग्य अपने अपने तरीकों से समाज की कुरीतियों पर प्रहार करते हैं। प्रमुख लेखों में प्रेमचंद्र के कथा साहित्य में दलित स्त्री(शुभदा वांजपे), भारतीय समाज में स्त्री स्वतंत्रता(सरिता सुराणा जैन), नारी उत्पीड़नःशोर बनाम सच(लक्ष्मी नारायण अग्रवाल), साहित्य में पुरस्कारों की राजनीति(राम शिव मूर्ति यादव), वैचारिक क्रांति क्यों और कैसे?(डाॅ. महेश चंद्र शर्मा) को शामिल किया जा सकता हैै। डाॅ. मोहन आनंद द्वारा लिखी गई जीवनी तथा डाॅ. सीता मिश्र का संस्मरण ‘महारानी कालेज’ भी उल्लेखनीय रचना है। पत्रिका की अन्य रचनाएं समीक्षाएं व समाचार प्रभावित करते हैं।

2 تعليقات

  1. Knowing about the contents of 'PUSHPAK' is a pleasant experience. Good move. Congratulations.

    'Hasrat' Narelvi, Chandigarh.

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