पत्रिका: गंुजन, अंक: अगस्त 2010, स्वरूप: अनियतकालीन, संपादक: जितेन्द्र चैहान, पृष्ठ: 96, मूल्य:50रू.(.वार्षिक 5अंक 250रू.),ईमेल:jchouhan@webdunia.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: http://patrikagunjan.blogspot.com/ , फोन/मो. 09165904583, सम्पर्क: पार्वती प्रकाशन, 73 ए, द्वारिकापुरी इंदौर म.प्र. 452.009
गुंजन म.प्र. से प्रकाशित होने वाली एक और साहित्यिक पत्रिका है। पत्रिका अनियतकालीन होते हुए भी वर्ष में इसके पांच अंक प्रकाशित किए जाते हैं। समीक्षित अंक में प्रकाशित कहानियां काठ का सपना(मुक्तिबोध) व पिंजरा(जयश्री राय), अच्छी रचनाएं हैं। पिछले लगभग एक वर्ष से जयश्री राय की यह चैथी कहानी पढ़ने में आई है जिसमें नवीनता के साथ साथ समाज के उत्पीड़न को व्यक्त करने का प्रयास किया गया है। पत्रिका में कृष्ण बलदेव वैद्य की डायरी, निसार अहमद से साक्षात्कार व उनका आत्म कथ्य तथा विष्णु खरे का आलेख लौटना निसार अहमद का अन्य प्रभावशाली रचनाएं हैं। सुबोध होलकर, नरेन्द्र गौड़, जितेन्द्र श्रीवास्तव, संजय अलंग की कविताएं समाज को केन्द्र में रखते हुए बाजारवाद के दुष्प्रभावों से सचेत करती दिखाई देती है। स्वप्निल शर्मा, नवीन माथुर पंचैली, प्रदीप मिश्र के आलेखों को पढ़कर इनमें कुछ नयापन दिखाई नहीं देता है। एक तरह से इनमें लकीर को पीटने का ही प्रयास किया गया है। लगभग सभी लघुकथाओं में कोई नया विचार या दृष्टिकोण दिखाई नहीं देता है। राधेश्याम पाठक, छगनलाल सोनी, प्रतिभा पुरोहित, अनुरूपा चैधुले, रेखा चमोली, बीना क्षत्रिय की कविताएं समाज व आसपास के वातावरण के प्रति खीज अथवा क्षोभ की अभिव्यक्ति लगती है। पत्रिका की अन्य रचनाएं ठीक ठाक है। यह बात बड़ी अखरने वाली है कि पत्रिका केवल अपने सदस्यों की रचनाएं ही प्रकाशित करती है। इससे हो सकता है भविष्य में अच्छी रचनाएं पत्रिका को न मिल सके। फिर भी एक अच्छे व सुंदर कलेवर युक्त इस प्रकाशन का स्वागत किया जाना चाहिए।

3 تعليقات

  1. अच्छी रचनाओं वाली किसी भी पत्रिका का स्वागत ....
    जानकारी देने के लिया आभार...... गुंजन

    ردحذف
  2. भूल सुधार ... जानकारी के लिए आभार अखिलेश जी

    ردحذف
  3. जानकारी देने के लिया आभार

    ردحذف

إرسال تعليق

أحدث أقدم