पत्रिका-रंग अभियान, अंक-15, स्वरूप-अनियतकालिक, संपादक-डाॅ. अनिल पतंग, पृष्ठ-64, मूल्य-15रू., संपर्क-नाट्य विद्यालय वाघा, पो. एस. नगर, बेगूसराय बिहार (भारत)
नाट्य प्रधान समीक्षित पत्रिका के अंक में ओम प्रकाश मंजुल का आलेख शेक्सपियर-साहित्य और स्वास्थ्य शिक्षण एक उपयोगी मनन योग्य रचना है। अश्विनी कुमार आलोक ने अंगिका लोक कथा पर विचारात्मक आलेख लिखा है। धरोहर के अंतर्गत जावेद इकबाल की रचना एक अच्छी प्रस्तुति है। श्याम कुमार पोकरा का नाटक झगड़ा पाठक को अंत तक बांधे रखने में सक्षम है। संपादक का कथन, ‘आज नाट्य विधा साहित्य की एक उपेक्षित विधा हो गई है।’ सचमुच एक गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ तथा पत्र मित्र व साहित्यिक समाचार भी इसे उपयोगी बनाते हैं।

1 تعليقات

  1. समय अपने हिसाब से करवट बदलता है...सभी विधाएं भी इसके हिसाब से चलती हैं.

    ردحذف

إرسال تعليق

أحدث أقدم