पत्रिका-साहित्य अमृत अंक-सितम्बर.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी, प्रबंध संपादक-श्यामसुंदर, पृष्ठ-68, मूल्य-रू.20(वार्षिक 200रू.), संपर्क-4/19, आसफ अली रोड़, नई दिल्ली110002(भारत)
देश विदेश में प्रख्यात साहित्यिक पत्रिका साहित्य अमृत के सितम्बर 09 अंक में विविधतापूर्ण पठ्नीय सामग्री का प्रकाशन किया गया है। श्रीनारायण चतुर्वेदी जी का स्मरण आलेख ‘हिमालय और मंदिर’ उस क्षेत्र मंे निर्मित मंदिरों का उल्लेख करने के साथ साथ उनकी विशेषताएं भी बताता है। प्रकाशित कहानियों में फौजी काका(आनंद कुशवाहा), तेतरी(सुधा), प्रेरणा(अमनचक्र) तथा सुधा की लघुकथाएं अच्छी तथा सहज सरल रचनाएं हैं। विशेष रूप से तेतरी कहानी के कथोपकथन कहानी की जान है तथा उसकी सरसता को बढ़ाते हैं। आलेखों में ‘पं. विद्यानिवास मिश्र का हिंदी भाषा विमर्श’(रामदरश मिश्र), ‘राष्ट्र जागरण में हिंदी संस्थाओं की भूमिका’(भवानीलाल भारतीय) प्रमुख हैं। इन आलेखों की विषय वस्तु पाठकों को अवश्य ही पसंद आएगी। शिवशंकर मिश्र व अतुल कनक के व्यंग्य प्रभावहीन लगे। विजय वर्मा का डोगरी साहित्य पर लिखा गया आलेख शोध छात्रों के साथ साथ आम पाठक के ज्ञान में वृद्धि करता है। रामनारायण सिंह ‘मधुर’ का यात्रा वृतांत अमरकंटक साहित्यिक रचना होते हुए भी इस क्षेत्र की ऐतिहासिक पौराणिक पृष्ठभूमि को समुचित ढंग से समेटे हुए है। ब्रज लोक गीतों में राष्ट्रीय चेतना पर लिखे गए आलेख में हर्ष नंदिनी भाटिया को और अधिक संदर्भ जुटाकर आलेख को गंभीर बनाना था लेकिन फिर भी यह अच्छा बन पड़ा है। पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ, समाचार खण्ड, समीक्षाएं, कविताएं तथा पत्र आदि प्रभावशाली हैं। अक्षय आमेरिया के चित्रों से झलकता है कि वे एक प्रतिभा सम्पन्न कलाकार हैं। पत्रिका में हिंदी पखवाड़ा व हिंदी भाषा की प्रगति पर उपयोगी तथा समसामयिक संपादकीय लिखा गया है। आज पुनः हिंदी को विश्वस्तर पर अपने शुद्ध रूप में स्थापित करने के लिए राजर्षि टंडन तथा श्री अरविंद जैसी विभूतियों की आवश्यकता हैं।
Bahut sundar samiksha....apka blog to hindi sahitya ka khajana hai.
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