पत्रिका-समावर्तन, अंक-मार्च।09, स्वरूप-मासिक, प्र. संपादक-रमेश दवे, वरिष्ठ सह.संपादक-श्रीराम दवे पृष्ठ-136, मूल्य-15रू.(वार्षिक 150रू.), संपर्क-माधवी 120, दशहरा मैदान उज्जैन म.प्र. (भारत)
समावर्तन का समीक्षित अंक ख्यात कथाकार चित्रा मुदगल के लेखन की विशेषताओं को विस्तार से व्यक्त करता है। चित्रा मुदगल की प्रथम कहानी ‘सफेद सेनारा’, लघु कथाएं, कविताएं एवं आत्मकथ्य साहित्य के नव अनुरागियों के लिए बहुत उपयोगी हैं। शब्द कुमार व हरीश पाठक ने चित्रा जी के सानिध्य में बिताए छड़ों केा अपने शब्द दिए हैं। उर्मिला शिरीष ने उनसे बातचीत कर सत्तर के दशक से आज तक की साहित्यिक गतिविधियों की चर्चा की है। कहानी ‘वहम’(अनु. हसन जमाल) व दृष्टिहीन(सदाशिव कौतुक) वर्तमान समय की आधुनिक कहानियां हैं। ख्यात संस्मरणकार कांतिकुमार जैन का संस्मरण ‘सीता की लट’ तथा आलोचक परमानंद श्रीवास्तव का आलेख ‘अज्ञेय के उपन्यासों में कवि दृष्टि’ गंभीर अध्ययन का प्रतिफल है। पत्रिका का दूसरा भाग कला के लिए समर्पित है। यह भाग प्रख्यात नाटककार हबीब तनवीर से परिचय कराता है। इस भाग में ‘ए लाइफ इन थियेटर’, कोरा नाटक नहीं, अन्तस और परिवेश(भारत रत्न भार्गव), हबीब तनवीर से उनके रंगकर्म की बारीकियों तथा बुनावट पर बातचीत पत्रिका का एक अतिरिक्त आकर्षण है। विपात्र के अतर्गत ‘मुक्तिबोध का पुनर्पाठ(कमला प्रसाद), अब अनुभववाद से काम नहीं चलेगा(रमेश उपाध्याय), पहला हमला मुद्राराक्षस पर हो(विष्णु दत्त नागर) तथा राजनीति युद्ध और कला(अशोक भौमिक) अच्छी रचनाएं हैं जो पाठक के जेहन में हमेशा बनी रहेंगी। पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ, समीक्षाएं तथा वर्तमान साहित्य पत्रिका के चार अंकों की समीक्षा(श्रीराम दवे) अन्य साहित्यिक पत्रिकाओं से प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से भिन्न है जो पत्रिका को उल्लेखनीय बनाते हैं। पत्रिका के एक और अच्छे अंक के लिए बधाई।

3 تعليقات

  1. समावर्तन पत्रिका की इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए शुक्रिया

    ردحذف
  2. ्फ़िर से आप का धन्यवाद, इस जानकारी देने के लिये

    ردحذف
  3. Apka yogdan viral hai..badhai
    **********************************
    नव संवत्सर २०६६ विक्रमी और नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनायें

    ردحذف

إرسال تعليق

أحدث أقدم