पत्रिका-प्रगतिशील आकल्प, अंक-जुलाई-सितम्बर।08, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-डॉ. शोभनाथ यादव, आजीवन सदस्यता-रू.1000, संपर्क-पंकज क्लासेस, पोस्ट ऑफिस बिलिंडग, जोगेश्वरी (पूर्व), मुम्बई 400060
टैब्लायड आकार में प्रकाशित होने वाली यह देश की प्रथम साहित्यिक पत्रिका है। इसका प्रकाशन विगत सात वर्ष से निरंतर हो रहा है। इस अंक में दो कहानियां प्रकाशित की गई हैं। जिनमें उषा यादव(एक और सबा), महमूद अहयूबी(नदिया बहे धीरे-धीरे) है। व्यक्तित्व के अंतर्गत नंद किशोर नौटियाल तथा महावीर प्रसाद प. सराफ पर प्रकाश डाला गया है। वरिष्ठ पत्रकार ने राष्ट्रीयता पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। राजकुमार कुम्भज, सुधेश, बख्शीश सिंह, शब्बीर हसन, गणेश चंद्र राही, कुमार नयन की कविताएं हैं। जिनमें से राजकुमार कुम्भज की कविताएं विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। शशि भूषण बडोनी, सतीश राजा पुष्करणा तथा रामशंकर चंचल की लघुकथाएं पत्रिका के स्तर के अनुरूप हैं। अन्य सभी स्थायी स्तंभ प्रभावित करते हैं। पत्रिका का प्रमुख आकर्षण ओमप्रकाश वाल्मीकि का आत्म संघर्ष है। इस आलेख में उन्होंने अपने लेखकीय जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव का बहुत ही बारीकी से विश्लेषण किया है। शासकीय सेवा में रहते हुए देश भर में भ्रमण करते हुए उन्होंने जो अनुभव प्राप्त किए हैं वे हर रचनाकार के से लगते हैं। डॉ. शोभनाथ यादव से डॉ. रीना सिंह की बातचीत समकालीन कविता का अच्छा विश्लेषण है। पत्रिका आकर्षक पठनीय तथा संग्रह योग्य है।

1 تعليقات

  1. @ अखिलेश शुक्ल !
    यदुकुल ब्लॉग द्वारा मैं यहाँ आई.प्रगतिशील आकल्प के बारे में आपके ब्लॉग पर पढ़कर अच्छा लगा. आपकी रचनाधर्मिता यूँ ही बनी रहे...इसके लिए साधुवाद !!

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