पत्रिका-व्यंग्य यात्रा, अंक-अक्टू।-दिस.08, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-प्रेम जनमेजय, पृष्ठ-192, मूल्य-20रू.(वार्षिक 100रू.पांच अंक),विशेष-ख्यात साहित्यकार व्यंग्यकार श्रीलाल शुक्ल पर केन्द्रित, संपर्क-73, साक्षर अपार्टमेंट, ए-3, पश्चिम विहार, नई दिल्ली 110.063 (भारत)
व्यंग्य यात्रा का समीक्षित अंक ख्यात व्यंग्यकार साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल जी पर एकाग्र है। पाथेय के अंतर्गत शुक्ल जी के लेखन के ऐतिहासिक क्षण, व्यंग्य विधा की स्वीकार्यता तथा रवीन्द्र नाथ त्यागी जी के आलेख ‘राग दरबारी एक उत्कृष्ट कथाकृति’ शामिल है। ‘राग दरबारी’ हिंदी साहित्य की यात्रा का तीसरा प्रमुख पड़ाव है। गोदान, मैला आंचल, के ग्रामीण अंचल को इस उपन्यास में स्वतंत्र भारत में स्वेच्छाचारिता के प्रतिफल के रूप में देखा जा सकता है। नित्यानंद तिवारी, प्रो.निर्मला जैन तथा ज्ञान चतुर्वेदी जी ने इस उपन्यास की बुनावट कसावट तथा वक्रोक्ति पर दृष्टिपात किया है। श्रीलाल शुक्ल जी से साक्षात्कार में उनके लेखन संबंधी महत्वपूर्ण पहलूओं पर चर्चा की गई है। श्रीलाल शुक्ल एवं उनके साहित्य पर कृष्णदत्त पालीवाल, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, भारत भारद्वाज, सुवास कुमार सहित अन्य लेखकों के आलेख व्यंग्य विधा पर विचार के साथ साथ समाज की वर्तमान स्थिति पर राग दरबारी को ध्यान में रखकर विचार किया गया है। राग दरबारी के व्यंग्य, शिल्प तथा उसकी बुनावट को लेकर काफी कुछ कहा गया है। कुछ आलोचक इसे उपन्यास ही नहीं मानते वहीं कुछ ने इसे उब से उपजा व्यर्थ का आलाप भी निरूपित किया है। लेकिन उन सब के विपरीत ‘राग दरबारी’ को भारतीय समाज के साथ साथ विदेशों में भी सराहा गया है। खगेन्द्र ठाकुर, राजेश जोशी, हरिमोहन, सूर्यबाला, सुरेश कांत तथा आशा जोशी के आलेखों में इस उपन्यास पर विचार किया गया है। जवाहर चैधरी, विनोद शाही, रमेश तिवारी ने शुक्ल जी की रचना दृष्टि में जीवन संदर्भो की खोजबीन की है। आम जन से लेकर ख्यात साहित्कारों से उनके संबंधों तथा निकटता पर सर्वश्री कन्हैयालाल नंदन, गंगा प्रसाद विमल, गोपाल चतुर्वेदी, शेरजंग गर्ग, अशोक चक्रधर अरविंद तिवारी एवं साधना शुक्ल के संस्मरण अच्छे व पठ्नीय हैं। पत्रिका में यह बात अवश्य खटकी की आखिर क्यों कर राग दरबारी के किसी प्रख्यात तथा प्रमुख अंश को स्थान नहीं दिया गया। व्यंग्य यात्रा के एक और उत्कृष्ट अंक के लिए बधाई।

3 टिप्पणियाँ

  1. अच्‍छी जानकारी है। व्‍यंग्‍य यात्रा के संपादक प्रख्‍यात व्‍यंग्‍यकार श्री प्रेम जनमेजय का साक्षात्‍कार आज रविवार दोपहर 1.45 बजे एफ एफ गोल्‍ड 106.4 पर प्रसारित हो रहा है। अवश्‍य सुनिए।

    जवाब देंहटाएं
  2. श्रीलाल शुक्ल और रागदरबारी तो एक दूसरे का पर्याय बन गए हैं।

    जवाब देंहटाएं
  3. इस सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने