
समकालीन साहित्य के लिए समर्पित पत्रिका समकालीन अभिव्यक्ति का समीक्षित अंक रचनात्मक रूप से अत्यधिक समृद्ध है। अंक में विश्वमोहन तिवारी, भुवनेश्वर प्रसाद, कृष्ण कुमार यादव एवं कमलिनी पशीने के उपयोगी आलेखों का प्रकाशन किया गया है। कहानियों में सुमन सिंह की कहानी चूक एवं रामबाबू नीरव की रचना तुम धन्य हो अनुपमा ध्यान देने योग्य हैं। इच्छित की लघुकथा तोहफा अच्छा संदेश देती है। रामगुलाम रावत, श्रीमती सुर्वणा दीक्षित एवं ओम प्रकाश मिश्र की कविताएं आज के समाज को एक दूसरे से जोडने का संदेश देती है। पत्रिका के अन्य स्तंभ व रचनाएं भी पाठक अवश्य ही पसंद करेंगे।
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