tag:blogger.com,1999:blog-941902625241422438.post2445945377474922123..comments2024-01-25T19:34:54.002+05:30Comments on कथा चक्र : बाज़ारवाद की प्रवृत्तियां और साहित्य (द्वितीय भाग)अखिलेश शुक्लhttp://www.blogger.com/profile/15550022760896923056noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-941902625241422438.post-9065238296082706662009-04-24T21:30:00.000+05:302009-04-24T21:30:00.000+05:30सुन्दर प्रस्तुति। देवी नागरानी जी कहतीं हैं कि-
ब...सुन्दर प्रस्तुति। देवी नागरानी जी कहतीं हैं कि-<br /><br />बाजार बन गए हैं चाहत वफा मुहब्बत।<br />रिशते तमाम आखिर सिक्कों में ढ़ल रहे हैं।।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं। <br />कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।। <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.com