पत्रिका: हिंदी चेतना,  अंक: 52, वर्ष: 13,  स्वरूप: त्रैमासिक, प्रमुख संपादक: श्याम त्रिपाठी, संपादक: सुधा ओम ढीगरा, पृष्ठ: 84, मूल्य: प्रकाशित नहीं, ई मेल: ,वेबसाईट: , फोन/मोबाईल: , सम्पर्क 6 Larksmera Court, Markham, Ontario L3R, 3R1 
हिंदी चेतना का समीक्षित अंक हिंदी साहित्य ही नहीं विश्व की किसी भी  भाषा व उसके साहित्य के लिए बेजोड़ अंक है। पत्रिका के समीक्षित अंक में साहित्य की लगभग प्रत्येक विधा की रचनाओं का प्रकाशन किया गया है। ख्यात कथाकार एच.आर. हरनोट से संपादक सुधा ओम ढीगरा की बातचीत है। यह बातचीत रचना विशेषकर कथा में प्रयोगधर्मिता का विरोध करती है। पत्रिका में प्रकाशित कहानियों में मरीचिका(सुदर्शन प्रियदर्शनी), सफेद चादर(अनिल प्रभाकुमार) एवं बांझ(शाहिदा बेगम शाहीन) मंे कथानक का नयापन बरबस मोह लेता है। डाॅ. सुरेश अवस्थी का व्यंग्य आलेख तथा अखिलेश शुक्ल का हरिशंकर परसाई जी पर संस्मरण पत्रिका के अन्य आकर्षण हैं। नीरज मैथानी, सुधा भार्गव तथा रामकुमार आत्रेय की लघुकथाएं पठनीयता लिए हुए हैं। रश्मि प्रभा, कादम्बिनी मेहरा, शशि पाधा, नरेन्द्र सिंहा, निर्मल गुप्ता, शकुन्तल बहादुर, श्यामल सुमन की कविताएं समसामयिक विषयों की श्रेष्ठतम प्रस्तुति है। मोहम्मद आजम, नवीन सी चतुर्वेदी, कंचन चैहान, रचना श्रीवास्तव, वंदना मुकेश एवं मंजु मिश्रा की ग़ज़लें क्षणिकाएं उल्लेखीय हैं। सभी स्तंभों के अंतर्गत प्रकाशित आलेख विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। मधु अरोड़ा, विजय शर्मा, दया दीक्षित, स्टीवन गुगर्दी, रमेश रोनक, संध द्विवेदी, शानू सिन्हा तथा चित्र काव्यमाला में अन्य अंकों के समान आकर्षण है। साहित्य मंे अनावश्यक मुददों को वेवजह प्रस्तुति को लेकर संपादक सुधा ओम ढीगरा का संपादकीय विचारणीय है। विश्व में हिंदी भाषा की वर्तमान स्थिति तथा प्रचार प्रसार पर प्रधान संपादक श्याम त्रिपाठी जी का आलेख चिंतन के नए द्वार खोलता है। पत्रिका की अन्य रचनाएं भी प्रभावित करती है। 

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