पत्रिका: केरल हिंदी साहित्य अकादमी शोध पत्रिका, अंक: 58, वर्ष: 2011,स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: एम. चंद्रशेखर नायर, आवरण: जानकारी नहीं, पृष्ठ: 30, मूल्य: प्रकाशित नहीं, मेल: ,वेबसाईट: , फोन/मोबाईल: 0471.2541355, सम्पर्क: श्रीनिकेतन, लक्ष्मीनगर, पट्टम पालस पोस्ट, तिरूवनंतपुरम, 615004 केरल
केरल राज्य से हिंदी पत्रिका के प्रकाशन की खबर ही अपने आप में महत्वपूर्ण है। कथाचक्र पर इस पत्रिका के अनेक अंकों की समीक्षा समय समय पर की जा चुकी है जिसे देश भर के विद्वानों द्वारा सराहा गया है। समीक्षित अंक में भी साहित्यिक सामग्री का प्रकाशन उत्तरभाषी राज्य से प्रकाशित पत्रिका के स्तर का है। पत्रिका में सोनिया गांधी जी के सत्य व अहिंसा पर संपादकीय राजनीतिक आलेख न होकर विशुद्ध सामाजिक आलेख है जिसमें सोनिया जी की अहिंसा व सत्य के प्रति प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया गया है। जीवन शुक्ल की रचना, मनोहर धरफने का आलेख एवं केशव फलके की हिंदी के प्रति चिंता प्रभावित करती है। डाॅ. अरूणा ने अपने शोध आलेख में नरेन्द्र कोहली के उपन्यासों में पौराणिक संदर्भो को अच्छे विश्लेषण व विवरण के माध्यम से रखा है। पत्रिका का प्रमुख आकर्षण समकालीन हिंदी मलयालम कहानी: स्त्री विमर्श(उषाकुमारी के.पी.) है। जिसमें दोनों भाषाओं की महिला रचनाकारों की चुनी हुई कहानियों को केन्द्र में रखकर विचार किया गया है। लीला कुमारी का आलेख लौटना और लौटना में जीवन मूल्यों का अवमूल्यन तथा जयश्री बी. के आलेख में विस्तार के साथ साथ गंभीर विश्लेषण भी है। षमशाद श्रीराम आर., नलिनीकांत, मोईउद्दीन शाहीन तथा इंदिरा वी.सी. की रचनाएं विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

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