पत्रिका: साक्षात्कार, अंक: नवम्बर 2011,स्वरूप: मासिक, संपादक: त्रिभुवननाथ शुक्ल, पृष्ठ: 120, मूल्य: 25रू (वार्षिक: 250रू.), मेल:sahityaacademy.bhopal@gmail.com ,वेबसाईट: उपलब्ध नहीं, फोन/मोबाईल: 0755.2554782, सम्पर्क: .प्र. संस्कृति परिषद, संस्कृति भवन, वाणगंगा, भोपाल
मध्यप्रदेश से प्रकाशित साहित्य की इस प्रमुख पत्रिका का प्रत्येक अंक संग्रह योग्य रचनाओं से युक्त होता है। उसी तारतम्य में समीक्षित अंक भी उपयोगी व जानकारीपरक है। अंक में वरिष्ठ साहित्यकार व हिदी विद्वान डाॅ. श्रीराम परिहार से बातचीत साहित्य जगत में उनके योगदान के साथ साथ वर्तमान हिंदी साहित्य पर भी प्रकाश डालती है। पत्रिका का प्रमुख आकर्षण इसके आलेख हैं। उनमें से कुछ प्रमुख आलेखों में मृदुला सिंहा, हेमंत गुप्त, प्रेमशंकर रघुवंशी, ब्रजकिशोर झा, प्रो. उषा यादव, जगत सिंह विष्ट एवं कृष्ण गोस्वामी के आलेख प्रमुख हैं। राजकुमार व नीलम चैरे की कविताएं नए विषयों को उठाती हुई अपनी बात वेबाक ढंग से पाठकों के समक्ष रखने में पूरी तरह से सफल रही है। रमेश चंद्र शर्मा तथा तालेवर मधुकर के गीत ग़ज़ल बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर सके हैं। वैसे भी आजकल गीत तथा हिंदी ग़ज़लों में घिसे पिटे तथा पुराने प्रतीकों के कारण आकर्षण लगभग नहीं रह गया है। पत्रिका की कहानियों में प्रमोद भार्गव, जसवंत सिंह एवं योगेश दीक्षित की कहानी प्रभावित करती है। पत्रिका का संपादकीय ‘एक कृति जिसका शताब्दी वर्ष है’ अच्छा चिंतन योग्य आलेख बन पड़ा है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व पत्र आदि भी प्रभावित करते हैं।

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