पत्रिका: कथा बिंब, अंक: अप्रैल-मई-जून 2011, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: मंजुश्री, पृष्ठ: 64, मूल्य: 15रू(वार्षिक 100रू.), ई मेल: kathabimb@yahoo.com ,वेबसाईट: http://www.kathabimb.com/ , फोन/मोबाईल: 09819162648, सम्पर्क: ए-10, बसेरा आॅफ दिन क्वारी रोड़, देवनार मुम्बई 400.088 महाराष्ट्र

कथाप्रधान इस पत्रिका की कहानियां हमेशा अपनी विशिष्ठ शैली व प्रस्तुतिकरण के कारण प्रभावित करती है। इस अंक में कहानी कभी मरती नहीं(सुशांत सुप्रिय), बुलाकी(संजीव निगम) तथा आजकल(डाॅ. स्वाति तिवारी) में बाजारीकरण के विपरीत आम भारतीय मान्यताओं को प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया गया है। सीताराम गुप्ता, डाॅ. वासुदेवन शेष तथा बी.गोविंद शैनाय की लघुकथाएं पत्रिका की लम्बी कथाओं के विपरीत समय के बदलाव को प्रतिबिंबतकरती है। मुंकुद कौशल, अमरकांत निगम, संतोष कुमार तिवारी तथा रमेश प्रसून , श्याम गोइन्का की कविताएं ग़ज़लें अन्वेषण के विरूद्ध मानव मस्तिष्क की सिराओं में नवजीवन का संचार करती दिखाई पड़ती है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व पत्र आदि भी स्तरीय व जानकारीपरक हैं। ( written by me, published in jansandesh times )

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