पत्रिका: मानसरोवर, अंक: वसंत वर्ष2011, स्वरूप: अनियतकालीन, संपादक: देवेन्द्र सोनी, विनोद कुशवाहा, पृष्ठ: 58, मूल्य: 50रू(वार्षिक 200रू.), ई मेल: youvapravartak@gmail.com , वेबसाईट: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 9425043026, 9827624219, सम्पर्क: पर्व, एल.आई.जी. 85, न्यास कालोनी, इटारसी म.प्र.
साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर का समीक्षित अंक ख्यात पत्रकार व साहित्यकार स्व. श्री प्रेमशंकर दुबे जी पर एकाग्र है। अंक में उनके समग्र व्यक्तित्व पर सार्थक व सारगर्भित जानकारी का प्रकाशन किया गया है। अंक में प्रकाशित रचनाओं में पत्रकारिता के पुरोधा प्रेमशंकर दुबे(मनोहर पटेरिया मधुर), एक अविस्मरणीय पत्रकार प्रेमशंकर दुबे(कमल दीक्षित), पत्रकारिता के प्रकाश स्तंभ श्री प्रेमशंकर दुबे(प्रमोद पगारे), दादा मेरे अवचेतन में आज भी हैं(दिनेश द्विवेदी), पत्रकारिता के पितामाह(चतुभुर्ज काब्जा), दादा गांधीवादी थे(सुरेश जोशी), वे मेरे बड़े भाई नहीं पिता थे(रमेश दुबे), प्रेमशंकर दुबे की सोच सकारात्मक थी(शिव चैबे), दादा शहर के लिए प्रतिबद्ध थे(सुरेश दुबे), दद्दा यानि पत्रकारिता के कबीर(पंकज पटेरिया), प्रेमशंकर दुबे खरे भी थे हरे भी थे(ब्रजकिशारे पटेल), उनसे मिला अपनापन(अखिलेश शुक्ल) एवं स्कूल आफ जर्नलिज्म यानि दादा प्रेमशंकर दुबे(विपिन पवार) में साहित्य, समाज व पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दिखाई देती है। अंक में बहुत ही अच्छे ढंग से रचनाओं को स्थान दिया गया है। पत्रिका का संपादकीय प्रभावित करता है।

1 टिप्पणियाँ

  1. अखिलेश भाई ,

    धन्‍यवाद आपने मानसरोवर को नेटीजनों तक पहुंचा दिया।

    विपिन पवार vipkum3@gmail.com

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने