पत्रिका: जनपथ, अंक: 02 वर्ष 2010, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: अनंत कुमार सिंह, पृष्ठ: 142, रेखा चित्र/छायांकन: जानकारी उपलब्ध नहीं, मूल्य: 50रू(वार्षिक 200रू.), ई मेल: janpathpatrika@gmail.com , वेबसाईट: उपलब्ध नहीं , फोन/मो. 09431847568, सम्पर्क: सेन्ट्रल कोआपरेटिव बैंक, मंगल पाण्डेय पथ, भोजपुर आरा, 802301 बिहार
साहित्य जगत की प्रमुख पत्रिका जनपथ का समीक्षित अंक बिहार की रचनाशीलता पर एकाग्र है। अंक में बिहार के साहित्यकारों लेखकों को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। प्रकाशित प्रमुख रचनाओं में विरासत के अंतर्गत जवाहर पाण्डेय, मृत्यंुजय सिंह, राम आह्लाद चैधरी, ब्रजभूषण तिवारी तथा रणविजय कुमार के आलेख आकर्षक हैं। अनिश अंकुर का संस्मरण तथा मधुकर सिंह की समकालीन रचना प्रभावित करती है। दृष्टि स्तंभ के अंतर्गत प्रकाशित रचनाओं में रीता सिन्हा एवं गुलरेज सहजाद के लेख उपयोगी हैं। हषीकेश सुलभ तथा राकेश कुमार सिंह के कथालेख पत्रिका का नया प्रयोग है। विजयकांत, जाबिर हुसैन, शीन हयात, पंखुरी सिन्हा, प्रेम भारद्वाज एवं सुभाष शर्मा की कहानियां तत्कालीन समाज के उन बिन्दुओं का स्पर्श करती है जिनपर अब तक विचार नहीं किया गया है। ख्यात समीक्षक डाॅ. गोपाल राय से पूनम सिन्हा की बातचीत साहित्य जगत की वर्तमान स्थिति पर वैचारिक वार्तालाप है। विनय कुमार, कुमार नयन, गायत्री सहाय, अनिरूद्ध कुमार सिन्हा, जितेन्द्र कुमार, अरूाा सीतेश, श्रीकांत प्रसून, राजेन्द्र परदेसी, बालभद्र, जनार्दन मिश्र, सुधीर सुमन, राजककिशोर राजन, राजेश राजमणि तथा अर्चना श्रीवास्तव की कविताएं नयापन लिए हुए हैं। इसके अतिरिक्त पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं पाठक को नयी जानकारियों से अवगत कराती है।

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