पत्रिका: वाणी प्रकाशन समाचार, अंक: अक्टूबर 2010, स्वरूप: मासिक, संपादक: अरूण माहेश्वरी, पृष्ठ: 20, मूल्य: 5रू.(वार्षिक उपलब्ध नहीं), ई मेल: vaniprakashan@gmail.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: http://www.vaniprakashan.in/ , फोन: 011.23273167, सम्पर्क: वाणी प्रकाशन, 21 ए, दरियागंज नई दिल्ली 110.002
देश के प्रमुख व ख्यातिप्राप्त साहित्यिक पुस्तक प्रकाशन समूह की यह मासिक समाचार प्रकाशन पत्रिका है। अंक में नवीनतम प्रकाशनों के समाचार प्रकाशित किए गए हैं। कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशनों से उपयोगी समाग्री भी पत्रिका अपने अंकों में प्रकाशित करती है। पत्रिका के मुख पृष्ठ पर काव्यशास्त्र के विविध आयाम शीर्षक के पश्चात यूनानी अभिजात्य चिंतन तथा कृष्णलाल शर्मा का आलेख ‘त्रासदी में करूणा-भय और कथार्सिस’ प्रकाशित किया गया है। काव्यशास्त्र पर एकाग्र ख्यात आलोचक व इग्नू की पूर्व प्राध्यापक प्रो. निर्मला जैन की पुस्तक ‘नयी समीक्षा का उदय’ पर लिखा गया लेख इसे पढ़ने के लिए प्रेरित करने में पूर्णतः सक्षम है। शब्दों का उचित प्रयोग(किशोरीदास वाजपेयी), भाषा मानक और परिनिष्ठित(महेन्द्रनाथ दुबे) से संबंधित जानकारी वर्तमान में हिंदी साहित्य के वैश्विक स्वरूप व उसके स्तर की ओर संकेत करती है। नए प्रकाशन के अंतर्गत विवाह की प्रासंगिकता(डाॅ. के.एम. मालती) व अज्ञेय के जन्मशती पर पुस्तक ‘अज्ञेय:कवि और काव्य’(डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद), अज्ञेय की कविता परंपरा और प्रयोग(रमेश ऋषिकल्प) एवं अज्ञेय एक अध्ययन(भोला भाई पटेल) पर लिखे गए आलेख इनके संबंध में संक्षेप में बहुत ही उपयोगी जानकारी देते हैं। अज्ञेय व उनके कथा साहित्य पर गोपाल राय की पुस्तक कहानी में रूचि रखने वाले प्रत्येक पाठक के लिए अनिवार्य प्रतीत होती है। ओम प्रभाकर के संग्रह काले अक्षर भारतीय, एक था शैलेन्द्र(राजेन्द्र यादव) व भरोसे की बहन(श्यौरराज सिंह बैचेन) की पुस्तकंे व उनपर लिखे गई जानकारी यह सिद्ध करती है कि हिंदी अब विश्व की अन्य भाषाओं का मार्गदर्शन करने की स्थिति में आ गई है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित ख्यात ग़ज़ल गो शहरयार से बातचीत, भारतीय लेखक को पाकिस्तान का सम्मान समाचार पत्रिका के स्वरूप को और अधिक व्यापकता प्रदान करते हैं।

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