पत्रिका: हिमप्रस्थ, अंक: अप्रैल 10, स्वरूप: मासिक, संपादक: रणजीत सिंह राणा, पृष्ठ: 56, मूल्य:5रू.(वार्षिक 50रू.), ई मेल: himprasthahp@gmail.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं , फोन/मो. उपलब्ध नहीं, सम्पर्क: हि.प्र. प्रिटिंग प्रेस परिसर, घौड़ा चैकी, शिमला-5
पत्रिका के इस अंक में प्रकाशित महत्वपूर्ण आलेखों में सृष्टि सृजन स्थान हिमाचल प्रदेश(डाॅ. शमी शर्मा), पहाड़ी चित्रकला के मर्मज्ञ..(डाॅ. तुलसी रमण), भारतीय समाज और महिला लेखिकाएं(डाॅ. दीनदयाल वर्मा), सदा याद रहेगा वह यायावर(आचार्य भगवान देव चैतन्य), संगीत में वाद्यों का महत्व(प्रियंका शर्मा) एवं भाषा सुसंस्कारों की जननी(डाॅ. रमेश सोबती) प्रमुख हैं। कहानियों में आंखें मूंद ली मैंने(डाॅ. मदन मोहन वर्मा), वापिसी(देवराज संजू) एवं बड़ी बहन(भानुप्रताप) प्रभावित करती हैं। प्रो. विश्वंभ्र अरूण, विपाशा शर्मा पंकज शर्मा एवं डाॅ. लीला मोदी की लघुकथाएं पत्रिका के स्तर में वृद्धि करती हैं। संतोष साहनी, तेजराम शर्मा, नीरज मैथानी, डाॅ. दरवेश भारती की कविताएं आज के समाज की दशा व्यक्त करती है। डाॅ. कुणाल कुमार का चिंतन, ओम प्रकाश शर्मा की एकांकी व डाॅ. दिनेश चमौला ‘शैलेष’ का व्यंग्य पाठक अवश्य ही पसंद करेंगे। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व पत्र आदि भी स्तरीय व संग्रह योग्य हैं।

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