पत्रिका-साक्षात्कार, अंक-जून-जुलाई.09, स्वरूप-मासिक,सलाहकार-मनोज श्रीवास्तव, श्रीराम तिवारी, प्रधान संपादक-देवेन्द्र दीपक, संपादक-हरि भटनागर, पृष्ठ-240, मूल्य-50रू.(वार्षिक150रू.), संपर्क-साहित्य अकादेमी,मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति भवन, बाण गंगा, भोपाल 03, फोनः(0755)2554782ए 2760486, ई मेलः sahitya_academy@yahoo.com
पत्रिका का समीक्षित अंक आपातकाल पर एकाग्र है। अंक में विभिन्न साहित्यकारों, संस्कृतिविज्ञों, विद्वानों के आपातकाल में अनुभव को संग्रहित किया गया है। यह एक ऐसी घटना थी जिसने भारतीय समाज पर दूरगामी प्रभाव डाला है। इस प्रभाव को विद्वानों ने अपने अपने आलेखों में प्रगट किया है। अंक में प्रकाशित कविताओं में भी आपातकाल व उसके प्रभाव के दर्शन होते हैं। फणीश्वरनाथ रेणु, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी, हंसराज रहबर, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, राजेन्द्र अनुरागी, श्रीराम वर्मा एवं रामदरश मिश्र की कविताओं में परिवर्तन की लहर का स्वर सुनाई देता है। ज्योत्सना मिलन, राॅबिन शाॅ पुष्प, बलदेव वंशी, प्रकाश वैश्य, बलवीर सिंह ‘करूण’, प्रेमशंकर रघुवंशी, राजेन्द्र मिश्र एवं सूर्यभानु गुप्त की कविताएं विषय से हटकर होते हुए भी देश के सामाजिक सांस्कृतिक परिवर्तन व उसके दूरगामी प्रभाव को व्यक्त करती है। रमानाथ अवस्थी, श्रीकांत जोशी, रमानाथ त्रिपाठी, आशा रानी वोहरा की कविताएं पुरानी व नवीन पीढ़ी के मध्य सेतु का कार्य करती हुई दिखाई देती है। डाॅ. धनंजय वर्मा, विष्णु पण्डया, कन्हैया सिंह, शिव बरूआ, जगन सिंह आपातकाल को याद करते हुए उससे जुड़े अनुभव पाठकों के साथ बांटते हैं। पत्रिका का प्रमुख आकर्षण मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चैहान व कप्तान सिंह सोलंकी के आलेख हैं। इन दोनों आलेखों में देश के अंदर परिवर्तन की तड़प व उसकी पीड़ा दिखाई देती है। श्री रामभुवन सिंह कुशवाह, घनश्याम सक्सेना, संतोष कुमार वर्मा के संस्मरण आलेखों में एक नई आज़़ादी का स्वर सुनाई पड़ता है। अरूण कुमार भगत, उदयप्रताप सिंह, प्रियंवद एवं कृष्णदत्त पालीवाल के आलेख सामाजिक चेतना के प्रश्नों को बड़ी सिद्दत के साथ उठाते हुए प्रतीत होते हैं। वल्लभ सिद्धार्थ एवं रमेश शिवप्रसाद की कहानियों में भी शिल्प का बुनाव आपातकाल के ईर्दगिर्द किया गया है। शैवाल सत्यार्थी का महाकवि हरिवंश राय बच्चन से पत्राचार पाठक को आपातकाल के बारे में बच्चन जी की सोच व उनके वैचारिक दृष्टिकोण से अवगत कराता है। पत्रिका का आपातकाल पर एकाग्र अंक संग्रह योग्य व जानकारीप्रद है।

2 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने